उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के अंडा कारोबारी हरीश कटियार का अपहरण और यातना की कहानी सुनकर हर कोई सन्न रह गया। हरीश के अपने ही चचेरे भाई अनूप कटियार ने उन्हें अगवा करने की साजिश रची थी। यह वही अनूप था, जिसे हरीश ने हर मुश्किल समय में आर्थिक और अन्य सहायता दी थी। अनूप ने हरीश को बांदा से अगवा किया और खुद का भी अपहरण होने का नाटक रचकर 96 घंटों तक उन्हें बंधक बनाए रखा। इन दिनों में हरीश को पानी की जगह शराब पिलाई गई, बक्से में सुलाया गया, और उनकी हत्या की साजिश रची गई।
अपहरण की रात
16 जनवरी की रात अनूप अपने गिरोह के साथ बांदा पहुंचा। गिरोह को होटल में ठहराने के बाद, अनूप हरीश के घर गया और उनके साथ खाना खाकर वहीं सो गया। आधी रात करीब डेढ़ बजे अनूप ने दरवाजा खोला, और गिरोह के सदस्यों ने हरीश और अनूप दोनों पर कंबल डाल दिया। दोनों को कार में डालकर बरेली ले जाया गया।
यातना भरे 96 घंटे
17 जनवरी को हरीश को भोजीपुरा के मियांपुर गांव में उदित नामक व्यक्ति के घर में बंधक बनाया गया। हरीश को बताया गया कि अनूप भी किसी अन्य जगह पर बंधक है। असल में, यह सब अनूप की सुनियोजित साजिश थी। हरीश को एक खुले बक्से में सुलाया गया, जहां ज्यादातर समय उन्हें भूखे रखा गया। पीने के लिए पानी मांगने पर शराब दी जाती थी। जब भी हरीश ने शोर मचाने की कोशिश की, उनके सिर पर तमंचा सटा दिया जाता और जान से मारने की धमकी दी जाती।
फिरौती की मांग
अनूप ने गिरोह के सरगना अंकित कटियार को हरीश की पत्नी ज्योति को कॉल कराकर 15 लाख रुपये की फिरौती मांगने का निर्देश दिया। वहीं, अंकित ने अनूप की पत्नी किरन से 5 लाख रुपये की फिरौती मांगी।
शक और पुलिस की सक्रियता
हरीश की पत्नी ज्योति ने पहले 17 जनवरी को बांदा थाने में पति की गुमशुदगी दर्ज कराई। लेकिन 19 जनवरी को अनूप पर शक होने पर उन्होंने उसके खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करवा दी। इधर, अनूप की पत्नी किरन ने बारादरी थाने में अनूप के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई।
बचाव की कहानी
हरीश ने बताया कि अगर पुलिस समय पर नहीं पहुंचती, तो उन्हें मार दिया जाता। पुलिस ने सर्विलांस और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर उन्हें 20 जनवरी को मियांपुर गांव से सकुशल छुड़ा लिया। उस समय हरीश इतने प्यासे थे कि उन्होंने करीब दो लीटर पानी एक ही बार में पी लिया।
भाई का विश्वासघात
हरीश ने बताया कि अनूप पर उन्होंने हमेशा भरोसा किया और हर मुश्किल वक्त में उसकी मदद की। पिछले साल उन्होंने अनूप को डेढ़ लाख रुपये दिए थे, और अपनी पत्नी से 50,000 रुपये दिलवाए थे। जब अनूप ने और पैसे मांगे, तो उन्होंने अपनी जमीन बेचने के बाद रकम देने का वादा किया। यहां तक कि अनूप के घर राशन खत्म होने पर उन्होंने बांदा से सरसों, गेहूं और चावल भिजवाया। लेकिन हरीश को नहीं पता था कि वही भाई उनकी जान का दुश्मन बन जाएगा।
पुलिस का ऑपरेशन और गिरफ्तारियां
बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य के निर्देशन में पुलिस ने 20 जनवरी की रात मुठभेड़ के दौरान तीन आरोपियों—अंकित कटियार, शाहिद और वीरपाल—को गिरफ्तार किया। इनके अलावा मियांपुर निवासी उदित और उमाशंकर, खाना देने वाली अंकित की पत्नी लाली और नवाबगंज के पड़ी गांव निवासी आकाश को भी जेल भेज दिया गया। कुल 11 आरोपी इस साजिश में शामिल पाए गए। इनके कब्जे से अनूप की कार, किराये की वैन, और नौ मोबाइल फोन बरामद किए गए।
हरीश की आपबीती
हरीश ने बताया कि अपहरण के दौरान अनूप का व्यवहार संदेहास्पद था। हालांकि, गिरोह के सदस्य अनूप को गालियां देकर मारते थे, जिससे उन्हें लगता था कि अनूप भी उनके साथ फंसा हुआ है। लेकिन बाद में हकीकत सामने आई।
हरीश ने यह भी कहा कि वह जिस भाई की हमेशा मदद करते रहे, उसी ने उनके जीवन को खतरे में डाल दिया। उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि अनूप उन्हें एक आसान शिकार समझेगा और उनके साथ ऐसा विश्वासघात करेगा।
समाज के लिए सबक
यह घटना न केवल पारिवारिक विश्वासघात की एक भयानक मिसाल है, बल्कि यह भी सिखाती है कि संकट के समय में किस तरह सतर्क रहना चाहिए। पुलिस की त्वरित कार्रवाई से हरीश की जान बच गई, लेकिन इस हादसे ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा।
यह कहानी केवल हरीश की यातना की नहीं, बल्कि उन रिश्तों की भी है, जो लालच और स्वार्थ के कारण टूट जाते हैं।