उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक भयावह वारदात सामने आई, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया है। यहां एक महिला ने अपने पति से कथित ‘जिन्न’ को उतारने के लिए एक आठ साल की मासूम बच्ची की निर्मम बलि चढ़ा दी। पुलिस ने इस सनसनीखेज हत्याकांड का पर्दाफाश करते हुए आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया है, जिसने अपना जुर्म कबूल कर लिया है और इस खौफनाक साजिश की पूरी कहानी बयां की है।
यह दिल दहला देने वाली घटना लखनऊ के दुबग्गा थाना क्षेत्र की है। पुलिस के अनुसार, आरोपी महिला के पति को बीते गुरुवार दुबग्गा थाने की हिरासत से रिहा किया गया था, जिसके बाद उसने घर पहुंचकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद, उसकी पत्नी ने जमकर हंगामा मचाया था, जिससे पुलिस को उस पर संदेह हुआ। जब पुलिस ने उससे गहन पूछताछ की, तो उसने जो खुलासा किया, वह सुनकर पुलिस भी सन्न रह गई।
महिला ने बताया कि उसके पति पर ‘जिन्न’ का साया था और उसे शांत करने के लिए बलि की जरूरत थी। इसलिए उसने अपने पति के साथ मिलकर एक मासूम बच्ची को बलि देने की योजना बनाई। 23 जनवरी को, जब पड़ोस में रहने वाली आठ वर्षीय बच्ची अपनी डलिया में सब्जी रखकर बेचने जा रही थी, तो आरोपी महिला और उसके पति ने उसे फुसलाकर अपने घर बुला लिया।
घर पहुंचने पर, महिला ने बच्ची को चाय पिलाई, जबकि उसका पति, सोनू, ‘जिन्न’ को बलि देने की तैयारी करने लगा। महिला ने पुलिस को बताया कि जब उसने बलि देने का विरोध किया, तो सोनू ने उसे पीटना शुरू कर दिया और बच्ची का गला दबाने लगा। उसने महिला से बच्ची के पैर पकड़ने को कहा और मासूम के चीखने पर उसका मुंह भी दबा दिया। जब बच्ची बेहोश होकर फर्श पर गिर पड़ी, तो सोनू ने उसका सिर दीवार से दे मारा, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
इस क्रूर हत्याकांड को अंजाम देने के बाद, आरोपियों ने बच्ची के शव को रात भर घर में ही रखा। अगले दिन सुबह, सोनू ने एक बक्से में अपना कॉस्मेटिक का सामान रखा और उसके बीच में बच्ची के शव को छिपाकर बक्से को बंद कर दिया। फिर, उसने बक्से को साइकिल पर लादा और रस्सी से कसकर बांध दिया। दोपहर में घर लौटने पर, सोनू ने अपनी पत्नी को बताया कि वह शव को नदी में फेंक आया है और किसी को भी इस बारे में बताने पर जान से मारने की धमकी दी। डर के मारे, महिला ने इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहा।
जांच में पता चला कि सोनू हमेशा से ही अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र में लिप्त रहता था। महिला ने बताया कि सोनू हमेशा दो थाली में खाना लगवाता था, जिसमें से एक थाली को वह ‘जिन्न’ के लिए बताता था। वह कहता था कि जिन्न भी उसके साथ खाना खाता है। यहां तक कि जब वह पानी पीता था, तो दो गिलास मंगवाता था, एक अपने लिए और दूसरा जिन्न के लिए।
इस मामले में पुलिस की शुरुआती लापरवाही भी सवालों के घेरे में है। अगर दुबग्गा पुलिस गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के तुरंत बाद बच्ची की तलाश शुरू कर देती और इलाके के सीसीटीवी कैमरों को खंगालती, तो शायद बच्ची की जान बचाई जा सकती थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि 23 जनवरी को बच्ची को आखिरी बार सोनू के घर के पास देखा गया था। यदि पुलिस ने उसी दिन सोनू से गहन पूछताछ की होती, तो इस हत्याकांड का पर्दाफाश हो सकता था और मासूम बच्ची को बचाया जा सकता था।
इतना ही नहीं, पुलिस की लापरवाही सोनू की आत्महत्या के मामले में भी उजागर हुई है। पुलिस को 24 जनवरी को ही सोनू के खिलाफ अहम सबूत मिल गए थे, लेकिन फिर भी पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर सघन पूछताछ क्यों नहीं की? अगर पुलिस ने उस दिन सोनू को गिरफ्तार कर लिया होता, तो शायद वह आत्महत्या न करता। बच्ची का शव एक फरवरी को मिलने के बावजूद, पुलिस ने सोनू को पूछताछ के बाद छोड़ दिया, जो उनकी कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
पुलिस जांच में यह भी पता चला कि बच्ची की हत्या के बाद, आरोपी महिला ने मानवता की सारी हदें पार कर दी थीं। उसने बच्ची के सिर से खून बहता देख, उसके कपड़े उतारकर खून साफ किया और फिर अपनी बेटी की एक नई टी-शर्ट उसे पहना दी। पुलिस ने जब वह टी-शर्ट बरामद की और महिला के बच्चों को दिखाई, तो उन्होंने पुष्टि की कि यह टी-शर्ट उनकी ही है, जो उनके लिए खरीदी गई थी, लेकिन छोटी होने के कारण उसे रख दिया गया था।
इस हत्याकांड को सुलझाने में पुलिस के लिए सबसे अहम सुराग वह रस्सी साबित हुई, जो बच्ची के शव के पास से बरामद हुई थी। पुलिस ने पाया कि वैसी ही रस्सी का एक टुकड़ा सोनू की साइकिल में भी बंधा हुआ है। इस आधार पर, पुलिस टीम सोनू के घर पहुंची और उसे साइकिल पर बंधी रस्सी दिखाई दी। इसके अलावा, सीसीटीवी फुटेज में भी सोनू को बच्ची के साथ देखा गया था। इन सबूतों के आधार पर, पुलिस ने सोनू से गहन पूछताछ की, जिसके बाद उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
इस सनसनीखेज हत्याकांड का पर्दाफाश करने के लिए पुलिस ने 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले। इनमें से दो कैमरों में बच्ची सोनू के घर के पास दिखी, और एक में आरोपी सोनू और बच्ची दोनों एक साथ नजर आए थे। पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल साइकिल, शव बांधने में प्रयोग की गई रस्सी, सफेद पारदर्शी पन्नी, तंत्र मंत्र से संबंधित फूल और लौंग के साथ एक मोबाइल फोन भी बरामद किया है।
इस जघन्य हत्याकांड का खुलासा करने वाली दुबग्गा पुलिस, क्राइम ब्रांच, सर्विलांस और क्राइम टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए, पुलिस उपायुक्त पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव ने 25 हजार रुपये के इनाम की घोषणा की है।
यह मामला न केवल एक मासूम बच्ची की निर्मम हत्या का है, बल्कि यह समाज में व्याप्त अंधविश्वास और कुप्रथाओं का भी जीता-जागता उदाहरण है। एक महिला और उसके पति ने अपने अंधविश्वास के चलते एक मासूम बच्ची की जान ले ली, जो बेहद दुखद और निंदनीय है। इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि अंधविश्वास कितना खतरनाक हो सकता है और इसके चलते लोग किस हद तक जा सकते हैं। यह जरूरी है कि समाज में शिक्षा और जागरूकता फैलाई जाए, ताकि लोग अंधविश्वासों से दूर रहें और तर्क और विज्ञान पर विश्वास करें।
