समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में संपन्न हुए मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला बोला है। अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग को “मृत” घोषित करते हुए, यहाँ तक कह दिया कि उन्हें “सफेद कफ़न” भेंट करना चाहिए। उनका यह आक्रोशपूर्ण बयान मिल्कीपुर उपचुनाव में धांधली और अनियमितताओं के आरोपों के बीच आया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।
अखिलेश यादव ने स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर उपचुनाव में सत्ता का दुरुपयोग करने और चुनाव प्रक्रिया को दूषित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मिल्कीपुर उपचुनाव, भाजपा के चुनाव लड़ने के “तरीके” का एक उदाहरण है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों की अनदेखी करता है। सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के इशारे पर मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया की “धज्जियां उड़ाई गईं”।
अखिलेश यादव ने विस्तृत रूप से धांधली के आरोपों को सूचीबद्ध करते हुए कहा कि भाजपा और प्रशासन ने मिलकर कई मतदान केंद्रों पर “फर्जी वोटिंग” कराई और “जमकर धांधली” की। उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम महिलाओं को “बुर्का हटाकर उनकी पहचान करने के बहाने” भयभीत और अपमानित किया गया, जो मतदाताओं को डराने और चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने का एक अलोकतांत्रिक तरीका था। अखिलेश ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस के बड़े अधिकारियों ने भी मतदाताओं के “परिचय पत्र” चेक किए, जिससे मतदाताओं में भय का माहौल पैदा हो गया और वे स्वतंत्र रूप से मतदान करने से वंचित रह गए।
सपा प्रमुख ने पुलिस-प्रशासन के रवैये को “अलोकतांत्रिक” बताते हुए कहा कि दर्जनों मतदान केंद्रों पर समाजवादी पार्टी के बूथ एजेंटों को “डराया-धमकाया” गया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने मिल्कीपुर उपचुनाव को प्रभावित करने के लिए “बेईमानी के हर तरह के हथकंडे” अपनाए और अराजकता फैलाई, जिसमें पुलिस और प्रशासन ने उन्हें “खुला संरक्षण” दिया।
अखिलेश यादव ने मिल्कीपुर उपचुनाव में “फर्जी मतदान” के विशिष्ट उदाहरण भी दिए। उन्होंने कहा कि कई बूथों पर प्रशासन और बीएलओ ने “फर्जी मतदान” कराया और भाजपा के “सत्ता संरक्षित” लोगों ने “फर्जी वोटिंग” करवाई। उन्होंने बूथ संख्या-158 पर एसडीएम द्वारा “खुद बूथ कैप्चरिंग” की शिकायत चुनाव आयोग से करने की बात भी कही, जो मामले की गंभीरता को दर्शाता है। अखिलेश ने चुनाव आयोग से इस मामले को तत्काल संज्ञान में लेने और ऐसे अधिकारियों के खिलाफ “कार्रवाई” करने की पुरजोर मांग की है।
सपा प्रमुख ने मतदाताओं के बीच डर का माहौल बनाने के लिए पुलिस-प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि भाजपा के समर्थकों ने “खुद स्वीकार किया है” कि उन्होंने “फर्जी मतदान” किया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अजीत प्रसाद ने “फर्जी मतदान करते हुए कुछ लोगों को स्वयं पकड़ा है”। अखिलेश ने रायपट्टी अमानीगंज में फर्जी वोट डालने की बात “अपने मुंह से कहने वाले” का हवाला देते हुए कहा कि इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि “भाजपा सरकार में अधिकारी किस तरह से धांधली में लिप्त हैं”। उन्होंने सवाल किया कि निर्वाचन आयोग को और क्या सबूत चाहिए?
इसके अतिरिक्त, अखिलेश यादव ने संयुक्त राज्य अमेरिका से भारतीयों की जबरन वापसी के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि “लोगों को कैदियों की तरह वापस लाया जा रहा है”, जिससे भारत की “विश्वगुरु” की छवि “धूमिल” होती है। अखिलेश ने सवाल किया कि “जो लोग खुद को विश्वगुरु बताते थे, वे अब चुप क्यों हैं?” और विदेश मंत्रालय इस मामले पर “क्या कर रहा है?” उन्होंने इस मुद्दे पर संसद में “चर्चा की मांग” भी उठाई।
कुल मिलाकर, अखिलेश यादव का मिल्कीपुर उपचुनाव पर बयान, चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर उनकी गहरी चिंता को दर्शाता है। उन्होंने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं और भाजपा पर सत्ता का दुरुपयोग करके चुनावों को प्रभावित करने का गंभीर आरोप लगाया है। अखिलेश यादव की तीखी प्रतिक्रिया और विस्तृत आरोपों ने न केवल राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है, बल्कि चुनाव आयोग और सरकार पर इन आरोपों की निष्पक्ष जांच कराने और उचित कार्रवाई करने का दबाव भी बढ़ा दिया है। मिल्कीपुर उपचुनाव विवाद, भारतीय लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में उभरा है।
