पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हुए हमलों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा कर दी है। जहां बांग्लादेश की सरकार लगातार स्थिति को सामान्य बताने का प्रयास कर रही है, वहीं भारत सरकार ने इन हमलों को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है और बांग्लादेश सरकार के दावों की पोल खोलते हुए संसद में महत्वपूर्ण आंकड़े पेश किए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं के लिए स्थिति कितनी गंभीर है।
बांग्लादेश, जो कभी सांप्रदायिक सद्भाव और सहिष्णुता के लिए जाना जाता था, हाल के वर्षों में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक खतरनाक जगह बनता जा रहा है। पिछले वर्ष हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद से स्थिति और भी खराब हो गई है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश सरकार भले ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रही हो, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। पिछले छह महीनों में, बांग्लादेश अल्पसंख्यकों के लिए नरक से कम नहीं रहा है।
भारत सरकार, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे लगातार हमलों को लेकर बार-बार अपनी चिंता व्यक्त करती रही है और बांग्लादेश सरकार को चेतावनी भी देती रही है। हाल ही में बंगबंधु मुजीबुर रहमान के घर पर हुई हिंसा और आगजनी की घटनाओं ने एक बार फिर यूनुस सरकार के दावों की कलई खोल दी है। इस बीच, भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों के संबंध में संसद में कुछ चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए हैं।
शुक्रवार को केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि पिछले वर्ष 5 अगस्त के बाद से बांग्लादेश में 23 हिंदुओं की हत्या कर दी गई है। यह आंकड़ा अपने आप में भयावह है और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की असुरक्षा को दर्शाता है। सरकार ने यह भी बताया कि इसी अवधि में कम से कम 152 हिंदू मंदिरों पर हमले हुए हैं। मंदिर, जो हिंदुओं के लिए पवित्र स्थान हैं, पर हमले धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता पर सीधा प्रहार हैं। विदेश राज्य मंत्री (MoS) कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, “पिछले दो महीनों में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हमलों की 76 घटनाएं सामने आई हैं। वहीं बीते अगस्त से 23 हिंदुओं की मौत हुई है और हिंदू मंदिरों पर हमले की 152 घटनाएं सामने आई हैं।” भारत सरकार ने इन घटनाओं को “गंभीरता” से लिया है, जो स्पष्ट रूप से इस मुद्दे पर भारत की चिंता और गंभीरता को दर्शाता है।
कीर्ति वर्धन सिंह ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं पर लगातार “नजर रख रही है” और बांग्लादेश सरकार के साथ इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को बार-बार साझा किया है। उन्होंने बताया कि 9 दिसंबर को विदेश सचिव ने बांग्लादेश दौरे के दौरान हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता दोहराई थी। इसके जवाब में, 10 दिसंबर 2024 को बांग्लादेश सरकार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों से संबंधित 88 मामलों में 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, भारत सरकार के आंकड़ों से स्पष्ट है कि बांग्लादेश सरकार के ये दावे वास्तविकता से कोसों दूर हैं। भारत सरकार के अनुसार, पुलिस ने जांच के बाद 1254 घटनाओं की पुष्टि की है, जो बांग्लादेश सरकार द्वारा बताए गए आंकड़ों से कहीं अधिक है।
यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश सरकार ने अल्पसंख्यकों पर हमलों की गंभीरता को कम करके आंकने की कोशिश की है। इससे पहले, यूनुस सरकार ने दुनियाभर में हो रही आलोचनाओं के बाद हिंदुओं पर हो रहे हमलों पर ध्यान दिया था। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के एक संयुक्त मंच ने बताया था कि अगस्त से दिसंबर तक 174 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें 23 हिंदुओं की हत्या कर दी गई है। हालांकि, मोहम्मद यूनुस की सरकार ने इस आरोप के जवाब में दावा किया कि पुलिस जांच में यह निष्कर्ष निकला कि किसी भी हत्या में सांप्रदायिक कोण नहीं था। बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने यह तक दावा किया कि बीते साढ़े चार महीनों में किसी भी व्यक्ति की सांप्रदायिक कारणों से मौत नहीं हुई है। यह दावा भारत सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों के बिल्कुल विपरीत है।
भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़े और बांग्लादेश सरकार के दावों के बीच यह स्पष्ट विरोधाभास बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की वास्तविक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करता है। भारत सरकार का यह कहना कि वह इन घटनाओं को “गंभीरता” से ले रही है, न केवल पड़ोसी देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के प्रति भारत की चिंता को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत सरकार इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी।
बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की यह बढ़ती हुई चिंताजनक स्थिति अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करना जरूरी है। विश्व समुदाय को बांग्लादेश सरकार पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए दबाव बनाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय भय और उत्पीड़न के बिना शांति और सम्मान से जीवन जी सकें।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि बांग्लादेश, हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए नरक बनता जा रहा है। भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि स्थिति गंभीर है और बांग्लादेश सरकार के दावों के विपरीत है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और भारत सरकार को बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाए रखना चाहिए ताकि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करे और दोषियों को कानून के अनुसार दंडित करे। पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए और बांग्लादेश को एक ऐसा देश बनना चाहिए जहाँ सभी धर्मों और समुदायों के लोग शांति और सद्भाव से रह सकें।
