नोएडा पुलिस ने लोन दिलाने के नाम पर ऑनलाइन धोखाधड़ी करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। सेक्टर-63 थाना पुलिस और साइबर अपराध टीम की संयुक्त कार्रवाई में, तीन शातिर आरोपियों को धर दबोचा गया है, जिनकी पहचान अरिहंत जैन, धर्मेंद्र और आकाश के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार, ये ठग “मनी ऑन नवाकर फाइनेंशियल सर्विसेज”, “मनी वन मैनेजमेंट सर्विसेज” और “नवाकर फाइनोविजन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड” जैसे फर्जी नामों से कॉल सेंटर चला रहे थे।
ये साइबर अपराधी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आकर्षक विज्ञापन जारी कर लोगों को बड़े लोन का लालच देते थे। जब कोई लोन लेने का इच्छुक व्यक्ति इनके जाल में फंस जाता, तो ये ठग प्रोसेसिंग फीस और सर्विस चार्ज जैसे झूठे बहानों से उनसे मोटी रकम वसूलते थे। बाद में, लोगों को उनका सिबिल स्कोर खराब बताकर लोन देने से इनकार कर देते थे। पीड़ित जब अपनी रकम वापस मांगने के लिए संपर्क करते, तो ये धोखेबाज उनका फोन उठाना भी बंद कर देते थे।
नोएडा पुलिस ने 8 फरवरी, 2025 को सेक्टर-63 के एच-169, एच ब्लॉक में स्थित एक ठिकाने पर छापेमारी कर इन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने इनके कब्जे से भारी मात्रा में अपराध में इस्तेमाल होने वाली सामग्री बरामद की है, जिसमें 4 लैपटॉप, 14 मोबाइल फोन, 1 प्रिंटर, 18 चेकबुक, 5 चेक, 50 विजिटिंग कार्ड और 9 मोहरें शामिल हैं। यह कार्रवाई सेक्टर-63 साइबर क्राइम हेल्प डेस्क पर प्राप्त कई शिकायतों के बाद की गई। पुलिस जांच से पता चला है कि आरोपी लंबे समय से इस तरह की धोखाधड़ी कर रहे थे और अब तक 200 से अधिक भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं, जिनसे उन्होंने करोड़ों रुपये की ठगी की है।
धोखाधड़ी का तरीका:
पुलिस के अनुसार, ये ठग दूर-दराज के इलाकों के लोगों को मुख्य रूप से निशाना बनाते थे, ताकि पीड़ित उनके फर्जी ऑफिस तक पहुंचकर शिकायत न कर सकें। जब कोई लोन लेने का इच्छुक व्यक्ति इनके विज्ञापनों या कॉल के माध्यम से संपर्क करता, तो ये उन्हें कम ब्याज दरों और आसान शर्तों पर बड़ा लोन दिलाने का झूठा प्रलोभन देते थे। फिर, ये धोखेबाज प्रोसेसिंग फीस, जीएसटी और सर्विस चार्ज जैसे फर्जी नामों पर लोन राशि का 3% से 18% तक अग्रिम भुगतान मांगते थे। एक बार जब पीड़ित सर्विस चार्ज के नाम पर पैसे दे देते, तो ये साइबर अपराधी उन्हें बताते कि उनका सिबिल स्कोर खराब है और उन्हें लोन नहीं मिल सकता।
पीड़ितों को फंसाने के लिए चेक का दिखावा:
गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने पूछताछ के दौरान बताया कि वे पीड़ितों को लोन का भरोसा दिलाने के लिए एक और चाल चलते थे। वे लोन की रकम का एक जाली चेक तैयार करते और उसे व्हाट्सएप के माध्यम से पीड़ितों को भेजते थे। इस जाली चेक को देखकर पीड़ितों को लगता था कि उनका लोन सच में स्वीकृत हो गया है और वे ठगों के जाल में पूरी तरह फंस जाते थे।
शिकायतकर्ता से 1.38 लाख रुपये की ठगी:
पुलिस ने बताया कि इन ठगों ने एक शिकायतकर्ता से भी इसी तरीके से 1,38,155 रुपये की ठगी की थी। लोन का झांसा देकर पैसे लेने के बाद, आरोपियों ने शिकायतकर्ता का लोन कभी पास नहीं कराया और बाद में उससे संपर्क करना भी बंद कर दिया।
कई बैंक खातों का इस्तेमाल:
जांच में यह भी पता चला है कि आरोपियों ने धोखाधड़ी से कमाए गए पैसे को अलग-अलग बैंक खातों में जमा कराया था। साइबर पोर्टल पर अभियुक्तों के खातों की जांच करने पर पुलिस को कई चौंकाने वाली जानकारी मिली। एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक खाते पर गुजरात और मध्य प्रदेश से तीन साइबर शिकायतें, कोटक महिंद्रा बैंक खाते पर तीन साइबर शिकायतें और फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक खाते पर दो साइबर शिकायतें दर्ज पाई गईं। पुलिस अब इन बैंक खातों और अन्य लेन-देन का विस्तृत विश्लेषण कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन ठगों ने कुल कितनी रकम की धोखाधड़ी की है और इस गिरोह में और कितने लोग शामिल हैं।
आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज:
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अब आरोपियों से पूछताछ कर रही है ताकि इस गिरोह के अन्य सदस्यों और उनकी कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी मिल सके।
ठगी से बचने के लिए सावधानी बरतें:
नोएडा पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे ऐसे फर्जी कॉल सेंटरों और धोखेबाजों से सावधान रहें। लोन या अन्य वित्तीय सेवाओं का लाभ उठाने के लिए हमेशा बैंक या वित्तीय संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट या शाखा से ही संपर्क करें। किसी भी अनजान व्यक्ति या कंपनी को कोई भी अग्रिम भुगतान न करें, खासकर जब तक आप उनकी प्रामाणिकता के बारे में पूरी तरह से सुनिश्चित न हों। ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है।
