उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में शुक्रवार की सुबह एक ऐसी दर्दनाक घटना घटी जिसने पूरे इलाके को दहला कर रख दिया। बरेली के किला थाना क्षेत्र के बाकरगंज मोहल्ले में एक अवैध मांझा बनाने की फैक्ट्री में ज़ोरदार धमाका हुआ। यह धमाका इतना शक्तिशाली था कि फैक्ट्री मालिक और दो कारीगरों के शरीर के चीथड़े उड़ गए। पतंगबाजी के लिए जानलेवा मांझा बनाने की गुप्त प्रक्रिया, जो गंधक, पोटाश, कांच और लोहे के बुरादे जैसे खतरनाक मिश्रणों पर निर्भर थी, इस भयानक दुर्घटना का कारण बनी।
यह अवैध फैक्ट्री बाकरगंज में अतीक रजा खां नामक व्यक्ति द्वारा चलाई जा रही थी। अतीक ने अपने तीन मंजिला घर के भूखंड पर यह कारखाना स्थापित कर रखा था। सुरक्षा के बजाय गोपनीयता को प्राथमिकता देते हुए, उसने घर के बाहर गलियों में सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे थे, लेकिन फैक्ट्री के भीतर सुरक्षा उपायों की अनदेखी की गई थी। प्रथम तल पर, एक कमरा मांझा और कच्चे माल के भंडार के रूप में कार्य करता था, जबकि पास के भूखंड पर वास्तविक निर्माण कार्य होता था।
शुक्रवार की सुबह लगभग 10 बजे, अतीक, फैजान (26), और सरताज (24) – दो कारीगर जो मोहल्ले के ही रहने वाले थे – मांझा बनाने की प्रक्रिया में व्यस्त थे। वे घातक मिश्रण तैयार कर रहे थे, जिसमें गंधक, पोटाश, कांच का पाउडर और लोहे का महीन बुरादा शामिल था। कारीगरों के अनुसार, मांझे को घातक रूप से मजबूत बनाने के लिए मिश्रण में गंधक और पोटाश की मात्रा अधिक रखी जाती थी। दुर्भाग्यवश, यही घातक मिश्रण एक भयावह विस्फोट का कारण बन गया।
विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि इसकी गूंज तीन किलोमीटर दूर तक सुनाई दी, जिससे आसपास के निवासी दहशत में आ गए। विस्फोट स्थल पर दृश्य भयावह था। अतीक और फैजान के शवों के चीथड़े घटना स्थल से 15 से 20 फीट दूर तक बिखर गए थे, जिन्हें पोस्टमार्टम के लिए एकत्र करना भी मुश्किल हो गया। सरताज की हालत भी गंभीर थी, धमाके में उसके शरीर का निचला हिस्सा और एक हाथ पूरी तरह से अलग हो गया था। आसपास के घरों पर भी विस्फोट का प्रभाव महसूस किया गया; अतीक के घर की खिड़कियां कांच के टुकड़ों में तब्दील हो गईं।
फैक्ट्री के बरामदे में, जहाँ विस्फोट हुआ, कच्चा माल तैयार किया जाता था। अतीक ने बरामदे के पास एक कमरे को ऑफिस के तौर पर भी इस्तेमाल कर रखा था, जिसमें सीसीटीवी कैमरों के मॉनिटर लगे हुए थे। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए फैक्ट्री के परिसर को सील कर दिया और मांझा व कच्चे माल के स्टॉक को जब्त कर लिया है। अब जब्त किए गए स्टॉक की गहन जांच की जा रही है ताकि विस्फोट के सटीक कारण का पता लगाया जा सके।
स्थानीय लोगों ने बताया कि धमाका इतना जबरदस्त था कि उन्हें लगा जैसे कोई बम फटा हो। फॉरेंसिक टीम ने घटनास्थल से नमूने एकत्र किए हैं, जिनकी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही धमाके के सही कारणों का पता चल पाएगा। प्रारंभिक जांच में, अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने आग लगने के कोई संकेत नहीं पाए हैं, जिससे विस्फोट में किसी विस्फोटक सामग्री के शामिल होने की आशंका और बढ़ जाती है।
दिल दहला देने वाली बात यह है कि अवैध फैक्ट्री बिना किसी सुरक्षा मानकों और अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के चलाई जा रही थी। मुख्य अग्निशमन अधिकारी (सीएफओ) चंद्रमोहन शर्मा ने बताया कि फैक्ट्री इतनी संकरी गली में स्थित थी कि यहां एनओसी जारी करना संभव ही नहीं था। यह घटना अवैध रूप से संचालित हो रही ऐसी इकाइयों के खतरों और नियमों के उल्लंघन के प्रति प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है।
इस घटना के बाद किला थाने में मामला दर्ज किया गया है, लेकिन देर रात तक रिपोर्ट दर्ज नहीं हो सकी थी क्योंकि पुलिस सीसीटीवी कैमरों के डीवीआर की जांच कर रही थी। डीवीआर की जांच से घटना के समय और विस्फोट के संभावित कारणों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है, हालाँकि, दुर्भाग्यवश, प्रत्यक्ष विस्फोट सीसीटीवी में कैद नहीं हो सका क्योंकि मौके पर बिजली गुल हो गई थी।
बरेली के पुलिस अधीक्षक (एसपी) नगर रविंद्र कुमार ने घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि विस्फोट की जांच की जा रही है। उन्होंने पुष्टि की कि यह अवैध मांझा फैक्ट्री थी और गंधक और पोटाश जैसे विस्फोटक पदार्थों के मिश्रण के कारण विस्फोट हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि हादसे में तीन लोगों की जान गई है।
बाकरगंज में अवैध मांझा फैक्ट्री में हुआ यह विस्फोट, अवैध औद्योगिक इकाइयों से जुड़े गंभीर खतरों की याद दिलाता है। मुनाफा कमाने की चाह में, अक्सर सुरक्षा मानकों को ताक पर रख दिया जाता है, जिसका परिणाम अक्सर ऐसी त्रासद घटनाओं के रूप में सामने आता है। यह घटना प्रशासन और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक वेक-अप कॉल है, जो अवैध कारखानों के संचालन पर नकेल कसने और यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर देती है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। इस हादसे ने तीन परिवारों को उजाड़ दिया और पूरे समुदाय को गहरे सदमे में डाल दिया है।
