उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) और पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना के तहत पंजीकृत निजी अस्पतालों द्वारा योजना के लाभार्थियों को चिकित्सा सेवा देने से इनकार करने की शिकायतें लगातार बढ़ रही थीं। कहीं इलाज शुरू करने से पहले पैसों की मांग की जा रही थी, तो कहीं योजना में पंजीकृत होने के बावजूद इलाज से इनकार किया जा रहा था। इन घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं।
सख्त नियम और कार्रवाई की चेतावनी
राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई निजी अस्पताल योजना के तहत लाभार्थियों को इलाज देने से मना करता है या उनसे पैसे मांगता है, तो उस अस्पताल की संबद्धता तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाएगी। इस संबंध में स्टेट एजेंसी फॉर कंप्रेहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विस (साजीच) की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. पूजा यादव ने पंजीकृत सभी अस्पतालों को नोटिस जारी कर सख्त चेतावनी दी है।
नोटिस में कहा गया है कि अस्पताल न केवल लाभार्थियों का इलाज करें, बल्कि योजना के प्रति उन्हें जागरूक भी करें। यदि किसी अस्पताल ने नगद धनराशि ली या इलाज से मना किया, तो इसे योजना में काम करने की अनिच्छा माना जाएगा और उसकी संबद्धता समाप्त कर दी जाएगी।
गोपनीय जांच शुरू
शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने गोपनीय जांच भी शुरू की है। इसमें राज्य के विभिन्न जिलों में पंजीकृत निजी अस्पतालों की जांच के लिए टीमों को नियुक्त किया गया है। इस दौरान अस्पताल प्रबंधन और शिकायतकर्ता दोनों के पक्ष लिए जा रहे हैं। इसके अलावा, शिकायतों की सत्यता जानने के लिए गुप्त रूप से भी पड़ताल की जा रही है।
दर्जनों अस्पतालों के खिलाफ शिकायतें
विभागीय सूत्रों के अनुसार, विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने लगभग 13 निजी अस्पतालों के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई हैं। इन अस्पतालों पर आरोप है कि वे योजना के तहत चिकित्सा सेवाएं देने में आनाकानी कर रहे हैं।
सरकार ने इन अस्पतालों के खिलाफ दो स्तरों पर जांच शुरू की है। पहली जांच शिकायतों के आधार पर और दूसरी गुप्त तरीके से, ताकि असलियत सामने लाई जा सके।
अब तक की कार्रवाई
अब तक आयुष्मान भारत योजना के तहत 410 अस्पतालों की संबद्धता रद्द की जा चुकी है। इसके अलावा, 97 अस्पतालों को निलंबित किया गया है, 68 अस्पतालों के भुगतान रोके गए हैं, और कुल 3.44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक पंजीकृत अस्पताल
उत्तर प्रदेश में आयुष्मान योजना के तहत सबसे अधिक 2949 सरकारी और 2885 निजी अस्पताल पंजीकृत हैं। पंजीकरण के मामले में उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है।
क्या है पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना?
इस योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 21 जुलाई 2022 को की थी। इसके तहत सरकारी और सेवानिवृत्त कर्मचारियों तथा उनके आश्रितों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाती है।
- सरकारी अस्पतालों में बिना किसी वित्तीय सीमा के कैशलेस उपचार की सुविधा है।
- निजी अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत हर लाभार्थी को सालाना 5 लाख रुपये तक की कैशलेस चिकित्सा सुविधा दी जाती है।
अप्रैल 2024 तक की स्थिति:
- इस योजना में 9,04,785 कर्मचारी और 6,50,259 पेंशनधारी शामिल किए गए हैं।
- अब तक 9,81,261 लाभार्थियों को हेल्थ कार्ड जारी किए गए हैं।
- हेल्थ कार्ड के माध्यम से 68,577 लाभार्थियों ने इलाज प्राप्त किया है।
कर्मचारी संगठनों का दावा
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि प्रदेश में लगभग 22 लाख कर्मचारी और पेंशनधारी हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि अब तक 9.81 लाख लाभार्थियों को योजना में शामिल किया गया है और बाकी को जल्द ही कवर किया जाएगा।
आयुष्मान योजना से जुड़े 8 करोड़ लोग
उत्तर प्रदेश में आयुष्मान भारत योजना के तहत करीब 8 करोड़ लोगों को शामिल किया गया है। यह योजना राज्य के गरीब और वंचित परिवारों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई थी।
सरकार का संदेश साफ
राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी परिस्थिति में लाभार्थियों को इलाज से वंचित नहीं किया जाएगा। योजना का उद्देश्य सरकारी और निजी अस्पतालों के माध्यम से कैशलेस चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित करना है। अस्पतालों को चेतावनी दी गई है कि किसी भी गड़बड़ी की सूरत में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह कदम न केवल लाभार्थियों को राहत प्रदान करेगा, बल्कि निजी अस्पतालों की मनमानी पर भी अंकुश लगाएगा।