उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के परस्पर तबादले की प्रक्रिया अटक गई है। शिक्षामित्रों के समायोजन की प्रक्रिया भी अब तक आगे नहीं बढ़ सकी है, जिससे शिक्षक और शिक्षामित्र निराश और ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
तबादले की प्रक्रिया पर ग्रहण
जिले के अंदर और एक जिले से दूसरे जिले में शिक्षकों के परस्पर तबादले का शासनादेश दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में जारी किया गया था। शिक्षकों का डाटा अपडेट करने की अंतिम तिथि 10 जनवरी तय की गई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
शिक्षकों का कहना है कि शासनादेश में पहले ही देरी हो चुकी थी, जिससे जाड़े की छुट्टियां बीत गईं। अब यदि प्रक्रिया जल्द पूरी नहीं हुई, तो गर्मी की छुट्टियां भी निकल जाएंगी और शिक्षकों को तबादले का लाभ नहीं मिल पाएगा।
शिक्षकों की नाराजगी
शिक्षकों का आरोप है कि विभाग हर छह महीने में होने वाली प्रक्रिया को एक साल बाद शुरू करता है, और अब उसे भी लगातार टालने की कोशिश की जा रही है। यदि प्रक्रिया जल्द पूरी नहीं हुई, तो शिक्षक लंबे समय तक तबादले का इंतजार करते रहेंगे।
शिक्षकों के साथ हो रहा अन्याय – शिक्षक संघ
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षकों के साथ छल कर रहा है। एक-एक प्रक्रिया पूरी करने में छह-छह महीने लगेंगे, तो शिक्षक अपने तबादले के लिए अनिश्चित समय तक इंतजार करते रहेंगे।
उन्होंने मांग की कि गर्मी की छुट्टियों से पहले सभी औपचारिकताएं पूरी की जाएं, ताकि शिक्षक छुट्टी के दौरान अपनी नई तैनाती पर कार्यभार ग्रहण कर सकें।
शासन का पक्ष
बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र तिवारी ने बताया कि शिक्षकों का डाटा अपडेट कर लिया गया है, और जिलों से इसकी जानकारी मांगी गई है। उन्होंने कहा कि उच्च स्तर पर चर्चा के बाद जल्द ही तबादले की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
शिक्षकों को अब उम्मीद है कि जल्द ही प्रक्रिया पूरी होगी और वे अपनी मनचाही तैनाती पा सकेंगे।
