ऐप-बेस्ड टैक्सी सेवाएं देने वाली कंपनियों, ओला और उबर, पर गंभीर आरोप लगने के बाद केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने उन्हें नोटिस भेजा है। आरोप है कि ये कंपनियां एप्पल (iPhone) और एंड्रॉयड (Android) यूजर्स से एक ही यात्रा के लिए अलग-अलग किराया वसूल रही हैं। यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सुर्खियों में आया।
एप्पल और एंड्रॉयड यूजर्स के लिए अलग किराया
यह मामला तब सामने आया जब एक सोशल मीडिया यूजर ने आरोप लगाया कि उबर एंड्रॉयड डिवाइस के मुकाबले एप्पल आईफोन यूजर्स से अधिक किराया वसूल रही है। इसके समर्थन में उन्होंने एक तस्वीर भी साझा की, जिसमें उबर ऑटो की एक यात्रा के लिए दो अलग-अलग डिवाइस पर अलग-अलग किराया दिखाया गया। तस्वीर में एंड्रॉयड डिवाइस पर किराया ₹290.79 था, जबकि एप्पल आईफोन पर वही यात्रा ₹342.47 में दिखाई गई।
केंद्रीय मंत्री ने दिए जांच के आदेश
करीब एक महीने पहले, केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस विषय पर गंभीरता दिखाई। उन्होंने कहा कि एक ही सवारी के लिए एंड्रॉयड और आईफोन पर अलग-अलग किराए की असमानता प्रथम दृष्टया अनुचित व्यापार व्यवहार प्रतीत होती है। उन्होंने CCPA को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया और साथ ही यह भी जानने को कहा कि क्या अन्य सेवाएं, जैसे कि खाद्य वितरण ऐप और ऑनलाइन टिकट बुकिंग प्लेटफॉर्म, भी इसी प्रकार की मूल्य निर्धारण पद्धति अपना रहे हैं।
उबर का बयान
इस मामले में उबर ने अपनी सफाई देते हुए कहा, “हम ग्राहकों से उनके डिवाइस के आधार पर किराया नहीं वसूलते हैं। हम किसी भी गलतफहमी को दूर करने के लिए CCPA के साथ सहयोग करने के लिए तत्पर हैं।” हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर और आरोपों ने उपभोक्ताओं के बीच काफी भ्रम और असंतोष पैदा किया है।
सरकार ने दिखाई सख्ती
बीते बुधवार को उपभोक्ता मामलों के विभाग के अधिकारियों के साथ केंद्रीय मंत्री ने इस मामले पर चर्चा की। बैठक में उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए हाल ही में उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई। इसमें ओला और उबर जैसी कंपनियों द्वारा अपनाई जा रही व्यापारिक नीतियों पर भी चर्चा हुई।
सोशल मीडिया से उठा विवाद
यह विवाद तब शुरू हुआ जब सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुई। पोस्ट में दावा किया गया कि उबर की मूल्य निर्धारण पद्धति अनुचित है और वह एप्पल यूजर्स से अधिक किराया वसूल रही है। इस दावे को मजबूत करने के लिए यूजर ने स्क्रीनशॉट साझा किए। इसके बाद यह मामला न केवल उपभोक्ताओं के बीच चर्चा का विषय बना, बल्कि सरकार तक भी पहुंच गया।
उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन?
ऐप-बेस्ड सेवाओं का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को उम्मीद रहती है कि उन्हें पारदर्शी और समान सेवा मिले। ऐसे में ऑपरेटिंग सिस्टम के आधार पर किराए में असमानता उपभोक्ता अधिकारों का सीधा उल्लंघन मानी जा सकती है।
अगला कदम क्या होगा?
सरकार ने ओला और उबर से नोटिस के जवाब में उचित स्पष्टीकरण मांगा है। अगर इन कंपनियों की मूल्य निर्धारण पद्धति में गड़बड़ी पाई जाती है, तो यह उनके लिए एक बड़ी समस्या बन सकती है।
यह मामला उपभोक्ता अधिकारों और पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करता है। एप्पल और एंड्रॉयड यूजर्स से अलग-अलग किराया वसूलना न केवल अनुचित है, बल्कि इससे कंपनियों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और कंपनियां इस पर क्या जवाब देती हैं।