Champions Trophy 2025: भारत की कमाई से जलता है पाकिस्तान... चाहता है बदलाव, जानिए ICC का रेवेन्यू मॉडल


आईसीसी के राजस्व वितरण में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है, और इसके पीछे भारतीय क्रिकेट का बड़ा बाजार और राजस्व में योगदान मुख्य कारण है। आईसीसी ने अपने मौजूदा राजस्व मॉडल (2024-27) के तहत कुल 60 करोड़ डॉलर (करीब 5073 करोड़ रुपये) सालाना वितरित किए हैं। इसमें बीसीसीआई को 38.50% हिस्सा मिलता है, जबकि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) को मात्र 5.75% हिस्सा दिया गया है, जो लगभग 291 करोड़ रुपये वार्षिक है।

पीसीबी को यह हिस्सेदारी अपर्याप्त लगती है। वह लगातार आईसीसी से अपने हिस्से को बढ़ाने की मांग कर रहा है। पाकिस्तान का तर्क है कि उसके हिस्से को बढ़ाकर 5.75% से ज्यादा किया जाए। लेकिन इस मांग को मानना आईसीसी के लिए आसान नहीं है, क्योंकि अन्य देशों को भी संतुलित हिस्सेदारी देने की आवश्यकता है।


चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 और भारत-पाकिस्तान का तनाव


आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 की मेजबानी पाकिस्तान को सौंपी गई थी। लेकिन भारत सरकार ने सुरक्षा कारणों से भारतीय टीम को पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं दी है। इसके चलते टूर्नामेंट को "हाइब्रिड मॉडल" के तहत आयोजित करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस मॉडल के अनुसार, भारतीय टीम के मैच दुबई में खेले जाएंगे, जबकि बाकी मुकाबले पाकिस्तान में होंगे।

पीसीबी इस मॉडल को सशर्त स्वीकार करने को तैयार है, लेकिन उसने मांग रखी है कि आईसीसी उसके राजस्व हिस्से को बढ़ाए। इसके अलावा, पीसीबी ने यह भी शर्त रखी है कि 2031 तक भारत में होने वाले आईसीसी टूर्नामेंट्स में भी "हाइब्रिड मॉडल" लागू किया जाए। हालांकि, यह मांग भी विवादित है, क्योंकि भारत में आईसीसी के तीन प्रमुख टूर्नामेंट्स (2026 टी20 वर्ल्ड कप, 2029 चैम्पियंस ट्रॉफी और 2031 वनडे वर्ल्ड कप) आयोजित होने हैं।


आईसीसी का राजस्व मॉडल और देशों की हिस्सेदारी


आईसीसी के मौजूदा राजस्व वितरण मॉडल के अनुसार:

देशराजस्व शेयर (मिलियन डॉलर)प्रतिशत में हिस्सा
भारत231.0038.50
एसोसिएट देश67.1611.19
इंग्लैंड41.336.89
ऑस्ट्रेलिया37.536.25
पाकिस्तान34.515.75
न्यूजीलैंड28.384.73
वेस्टइंडीज27.504.58
श्रीलंका27.124.52
बांग्लादेश26.744.46
दक्षिण अफ्रीका26.244.37

भारत को सबसे ज्यादा हिस्सा मिलने के पीछे उसका बड़ा बाजार और आईसीसी राजस्व में बड़ा योगदान है। जबकि पाकिस्तान को कम हिस्सेदारी मिलने की वजह उसकी क्रिकेट मार्केट का अपेक्षाकृत छोटा होना है।


पीसीबी की शर्तें और 'हाइब्रिड मॉडल'


पीसीबी ने 'हाइब्रिड मॉडल' स्वीकार करने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं:

  1. राजस्व हिस्सेदारी में वृद्धि: पीसीबी चाहता है कि उसका हिस्सा 5.75% से बढ़ाया जाए।
  2. फाइनल के लिए लाहौर को बैकअप वेन्यू: अगर भारत फाइनल में नहीं पहुंचता है, तो फाइनल मुकाबला लाहौर में आयोजित किया जाए।
  3. 2031 तक 'हाइब्रिड मॉडल' का विस्तार: यह शर्त कि भारत में होने वाले आईसीसी टूर्नामेंट्स में भी यह मॉडल लागू हो।


भारत के मुकाबले दुबई में संभावित


अगर पीसीबी 'हाइब्रिड मॉडल' को स्वीकार करता है, तो भारत के मुकाबले दुबई में आयोजित होंगे। बाकी मुकाबले पाकिस्तान में होंगे, और मेजबानी का अधिकार पाकिस्तान के पास रहेगा। अगर टूर्नामेंट को स्थगित किया जाता है, तो पीसीबी को 60 लाख डॉलर (करीब 50.73 करोड़ रुपये) के मेजबानी शुल्क का नुकसान होगा।


आईसीसी और पीसीबी के बीच गतिरोध


आईसीसी ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर पीसीबी ने शर्तें जारी रखीं, तो टूर्नामेंट को पाकिस्तान के बिना आयोजित किया जा सकता है। इससे पीसीबी को वित्तीय नुकसान होगा और आईसीसी को प्रतिष्ठा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।


पिछले घटनाक्रम और संभावनाएं


पाकिस्तान ने 2017 में चैम्पियंस ट्रॉफी जीती थी। लेकिन 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद से भारतीय टीम ने पाकिस्तान में कोई मैच नहीं खेला है। इससे पहले एशिया कप 2023 में भी भारत ने सभी मुकाबले श्रीलंका में खेले थे। चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 का आयोजन 19 फरवरी से 9 मार्च के बीच होने की संभावना है।


निष्कर्ष


आईसीसी का मौजूदा राजस्व मॉडल बाजार आधारित है और भारत का बड़ा योगदान इसे जायज ठहराता है। लेकिन पीसीबी की बढ़ती मांगें और भारत-पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक और सुरक्षा संबंधी तनाव के चलते चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 का आयोजन जटिल बनता जा रहा है। 'हाइब्रिड मॉडल' एक व्यावहारिक समाधान हो सकता है, लेकिन पीसीबी की शर्तें इसे और अधिक पेचीदा बना रही हैं।