Pushpa 2 Review थियेटर्स में 'पुष्पा' ने मचाया भौकाल अद्भुत, शानदार… छा गए अल्लू अर्जुन, जानें कैसी है उनकी दूसरी पैन इंडिया फिल्म
पुष्पा 2: द रूल थिएटर में रिलीज हो चुकी है, और इसमें अल्लू अर्जुन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह क्यों एक पैन इंडिया सुपरस्टार हैं। फिल्म में रश्मिका मंदाना ने उनकी पत्नी श्रीवल्ली का किरदार निभाया है। इस फिल्म को थिएटर में जाकर देखना चाहिए या नहीं? इसका जवाब जानने के लिए आइए, इस विस्तृत समीक्षा पर नज़र डालते हैं।
अल्लू अर्जुन और 'पुष्पा' की धमाकेदार वापसी
'पुष्पा: द राइज' ने तीन साल पहले भारतीय सिनेमा में हलचल मचा दी थी। इसने दर्शकों को एंग्री यंग मैन हीरो के किरदार से फिर से परिचित कराया, जो लंबे समय से हिंदी फिल्मों में गायब था। "फ्लावर समझे क्या? फायर है मैं" जैसे डायलॉग्स हर किसी की जुबान पर छा गए। 'पुष्पा 2' के आने की उम्मीदें पहले से ही आसमान पर थीं, और फिल्म ने इन उम्मीदों पर खरा उतरते हुए दर्शकों को निराश नहीं किया।
कहानी का शानदार विस्तार
फिल्म की कहानी पुष्पराज (अल्लू अर्जुन) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो रक्त चंदन की तस्करी से बड़ा आदमी बन गया है। हालांकि, अब भी उसके काम में रुकावटें बनी रहती हैं, खासकर एसपी भंवर सिंह शेखावत (फहद फासिल) के कारण। क्या पुष्पा अपनी दुश्मनी का अंत कर पाएगा? क्या वह अपने परिवार और अपने नाम का सम्मान वापस पा सकेगा? इन सारे सवालों के जवाब के लिए आपको थिएटर का रुख करना होगा।
निर्देशन और सिनेमेटोग्राफी का जादू
सुकुमार का निर्देशन फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है। 'पुष्पा: द राइज' की तुलना में 'पुष्पा: द रूल' हर मायने में बड़ी और बेहतर साबित होती है। सिनेमेटोग्राफी का हर फ्रेम दर्शकों को कहानी से जोड़ता है। फिल्म में एक सीन ऐसा है जहां पुष्पा के 200 से ज्यादा साथी पकड़े जाते हैं। दर्शक एक टिपिकल एक्शन सीन की उम्मीद करते हैं, लेकिन पुष्पा जो करता है, वह चौंका देता है। सुकुमार और अल्लू अर्जुन की जोड़ी ने सिनेमा को नए तरीके से परिभाषित किया है।
अल्लू अर्जुन का दमदार अभिनय
अल्लू अर्जुन ने 'पुष्पा 2' में एक बार फिर अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। उनका किरदार, जो झुके हुए कंधे, बेतरतीब बालों और चमकीले कपड़ों में नजर आता है, दर्शकों को अपने स्वैग से मंत्रमुग्ध कर देता है। फिल्म में उनका एक सीन, जिसमें वह साड़ी पहनकर काली मां के अवतार में दिखते हैं, क्रांतिकारी है। यह लुक केवल ध्यान खींचने के लिए नहीं, बल्कि कहानी में गहराई लाने के लिए था।
रश्मिका मंदाना और फहद फासिल का योगदान
श्रीवल्ली के किरदार में रश्मिका मंदाना ने इस बार अहम भूमिका निभाई है। 'पुष्पा 1' में उनका किरदार सीमित था, लेकिन 'पुष्पा 2' में वह अपने अभिनय से साबित करती हैं कि उनका किरदार क्यों महत्वपूर्ण है। वहीं, फहद फासिल के किरदार को हल्की कॉमेडी के साथ पेश किया गया है, जो फिल्म में एक नई परत जोड़ता है।
डबिंग और बैकग्राउंड म्यूजिक
'पुष्पा 2' की डबिंग और बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म की खासियत है। श्रेयस तलपड़े की आवाज पुष्पा के किरदार के साथ न्याय करती है। जहां गाने भले ही यादगार न हों, लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी को और अधिक प्रभावशाली बनाता है। हिंदी बैकग्राउंड म्यूजिक का सही समय पर इस्तेमाल इसे और खास बनाता है।
फिल्म की खासियत
फिल्म में हिंसा जरूर है, लेकिन यह हिंसा कहानी के संदर्भ में पूरी तरह से जायज लगती है। 'एनिमल' जैसी फिल्मों की तरह बिना सोचे-समझे की गई हिंसा से यह पूरी तरह अलग है। पुष्पा की हिंसा में ताली बजाने जैसा जुनून है।
फिल्म में महिलाओं के प्रति सम्मान को भी खूबसूरती से दर्शाया गया है। पुष्पा का अपनी पत्नी और अन्य महिलाओं के साथ व्यवहार उसकी सोच को दर्शाता है। यह दक्षिण भारतीय सिनेमा की बदली हुई सोच का प्रतीक है।
एक्शन सीन और अनुभव
फिल्म के एक्शन सीन शानदार तरीके से डिजाइन किए गए हैं। हर सीन ऐसा लगता है जैसे इसे पहली बार देखा जा रहा है। थिएटर में फिल्म देखना एक अद्भुत अनुभव है, जो इसे बड़े पर्दे पर देखने लायक बनाता है।
निष्कर्ष
'पुष्पा 2: द रूल' अपने हर पहलू में शानदार है। यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि सिनेमा के स्तर को ऊंचा उठाने वाली एक कृति है। अल्लू अर्जुन और सुकुमार की जोड़ी ने भारतीय सिनेमा में नया ट्रेंड सेट किया है। फिल्म को 4.5 स्टार रेटिंग दी जा सकती है। अगर आपने अभी तक थिएटर में इस फिल्म को नहीं देखा है, तो इसे देखने का प्लान जरूर बनाएं।
रेटिंग: 4.5/5
कास्ट: अल्लू अर्जुन, रश्मिका मंदाना, फहद फासिल
निर्देशक: सुकुमार