Ghaziabad News: आईआरएस अधिकारी का बेटा बना फर्जी आईपीएस, साथी संग गिरफ्तार


गाजियाबाद। पुलिस आयुक्त कार्यालय में तैनात एसआई कृष्ण कुमार शर्मा और डीसीपी ट्रांस हिंडन के पीआरओ नीरज राठौर को फोन कर धमकाने वाले फर्जी आईपीएस अनिल कटियाल और उसके साथी विनोद कपूर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। अनिल कटियाल जीके फर्स्ट न्यू दिल्ली का निवासी है, जबकि विनोद डीएलएफ फेस-3 गुरुग्राम का रहने वाला है। इंदिरापुरम थाने में विनोद पर दर्ज धोखाधड़ी के मामले को खत्म कराने के लिए अनिल कटियाल ने कृष्ण कुमार शर्मा और नीरज राठौर पर दबाव बनाया था।


अनिल कटियाल का परिवारिक बैकग्राउंड


अतिरिक्त पुलिस आयुक्त दिनेश कुमार पी. ने बताया कि अनिल कटियाल के पिता चेतराम कटियाल एक पूर्व आईआरएस अधिकारी रहे हैं। अनिल की शुरुआती पढ़ाई सेंट कोलंबस और सेंट स्टीफंस कॉलेज में हुई। उसने 1979 में यूपीएससी की परीक्षा दी थी, जिसमें वह असफल रहा। इसके बाद वह पीएचडी करने के लिए अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी चला गया, लेकिन अगले साल लौटकर हिंदुस्तान लीवर में प्रबंधक के पद पर नौकरी शुरू की।
2000 से 2005 तक, उसने यामाहा कंपनी में चीफ जनरल मैनेजर के पद पर काम किया। इसके बाद 2005 से 2015 तक वोडाफोन में वाइस प्रेसीडेंट कॉरपोरेट अफेयर्स के पद पर कार्य किया और फिर रिटायर हो गया। अनिल ने यूपीएससी की परीक्षा में जिन लोगों के साथ भाग लिया था, उनमें से कई सफल हुए और अधिकारी बन गए, जिससे उसे कुछ लाभ मिला। पिता के अधिकारी होने का फायदा उठाकर वह अधिकारियों के करीब पहुंच जाता था और काम करवा लेता था।


फर्जी पहचान का दुरुपयोग


पुलिस की जांच में पता चला कि अनिल कटियाल ने एक नामी कंपनी के लिए अधिकारियों पर दबाव डालकर बार का लाइसेंस हासिल किया। उसने आरटीओ और आबकारी विभाग में कई महत्वपूर्ण कार्य खुद को रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी बताकर कराए। इसके अलावा, उसने विदेश मंत्री को अपना सहपाठी बताकर अधिकारियों से नजदीकी बनाने की कोशिश की।


विनोद कपूर की भूमिका


जांच में यह भी सामने आया कि विनोद कपूर एक निर्माण व्यवसायी है, जिसने कई एयरपोर्ट के निर्माण में काम किया है। अनिल और विनोद की मुलाकात गुरविंदर के माध्यम से हुई थी, जो दुबई में ट्रेडिंग का काम करता है। इसी के जरिए अनिल दुबई के अरबपति रियल स्टेट कारोबारी राज साहनी के संपर्क में आया। राज साहनी और उसके बेटे 100 मिलियन यूएई डॉलर की धोखाधड़ी मामले में फंसे हुए हैं, जिनको भारत लाने में अनिल कटियाल प्रयासरत था।


अधिकारियों को धोखा देने का प्रयास


अनिल कटियाल ने अधिकारियों से बात करते समय आत्मविश्वास दिखाते हुए कहा, "हाय...निमिष कैसे हैं? मैं 1969 बैच का मणिपुर कैडर का आईपीएस अधिकारी अनिल कटियाल हूं। वर्तमान में गृह मंत्रालय में सलाहकार हूं। इंदिरापुरम पुलिस हमारे मित्र विनोद कपूर को धोखाधड़ी के मामले में गलत तरीके से गिरफ्तार कर रही है।" इस आत्मविश्वास से भरे तरीके से बात करने पर वरिष्ठ अधिकारी समझकर डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल ने भी उन्हें सम्मान दिया और पूरी बात ध्यान से सुनी।


संदेह की शुरुआत


जब अनिल कटियाल पुलिस आयुक्त अजय मिश्र से मिलने पहुंचे, तो उन्हें भी वरिष्ठ अधिकारी समझकर सम्मान दिया गया। लेकिन जब उन्होंने पुलिस आयुक्त के साथ फोटो खिंचवाने की मांग की, तब अधिकारियों को शक हुआ। पुलिस आयुक्त कार्यालय से जब अनिल कटियाल को फोन किया गया और बैच आदि के बारे में पूछा गया तो वह कभी खुद को 10 साल पहले रिटायर्ड बताते रहे तो कभी 20 साल बाद नौकरी छोड़ने की बात कहने लगे। अंततः पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया।


निलंबन की कार्रवाई


विनोद कपूर को पुलिस ने गुरुग्राम से हिरासत में लिया था और वह हवालात में बंद रहा। विनोद ने इसकी शिकायत अधिकारियों से की कि उन्हें हिरासत में लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। जांच करने पर पता चला कि निरीक्षक कुलदीप कुमार और एसएसआई प्रमोद हुड्डा ने संबंधित थाने की पुलिस से कोई संपर्क नहीं साधा था और न ही उन्हें इसकी सूचना दी थी। इसी लापरवाही के चलते दोनों को निलंबित कर दिया गया।


निष्कर्ष


इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कैसे कुछ लोग अपनी पहचान का दुरुपयोग करके अधिकारियों को धोखा देने का प्रयास करते हैं। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिससे यह संदेश जाता है कि कानून सभी के लिए समान है और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।