साइबर अपराधियोंने ने नोएडा में आईटी इंजीनियर को डिजिटल अरेस्टर कर 34 लाख रुपये ठगे पुलिस ने 10 लख रुपए वापस कराया
नोएडा और एनसीआर क्षेत्र में साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला नोएडा से सामने आया है, जहां एक आईटी इंजीनियर को साइबर अपराधियों ने अपना शिकार बना लिया। सेक्टर-41 में रहने वाली निधि पालीवाली इस ठगी का शिकार हुईं। साइबर अपराधियों ने निधि को झांसे में लेकर उनसे 34 लाख रुपये ठग लिए। हालांकि, पुलिस ने अपनी तत्परता से इस मामले में 10 लाख रुपये वापस कराए।
कैसे फंसी निधि साइबर जाल में?
घटना की शुरुआत एक फोन कॉल से हुई। कॉल करने वाले ने खुद को कूरियर कंपनी का कर्मचारी बताया। उसने दावा किया कि निधि के नाम से मुंबई से ईरान एक पार्सल भेजा जा रहा है, जिसमें संदिग्ध सामग्री हो सकती है। कॉलर ने बताया कि इस पार्सल में एमडीएमए (ड्रग्स), पांच फर्जी पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और 900 डॉलर हैं। उसने आगे कहा कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हो सकता है। इस तरह की जानकारी सुनकर निधि घबरा गईं।
नारकोटिक्स अधिकारी और साइबर सेल का झांसा
ठगों ने अपनी योजना को और विश्वसनीय बनाने के लिए निधि को फर्जी नारकोटिक्स अधिकारी और साइबर सेल के डीसीपी से बात करवाई। इन फर्जी अधिकारियों ने निधि को यकीन दिलाया कि उनके खिलाफ गंभीर जांच चल रही है और इस मामले में मुंबई आने की आवश्यकता है।
मुंबई जाने के बजाय, जालसाजों ने निधि को घर बैठे डिजिटल अरेस्ट कर लिया। उन्होंने स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स का सहारा लेकर निधि के बैंक अकाउंट को एक्सेस किया। इसके जरिए उन्होंने निधि के बैंक से 19 लाख रुपये का प्री-अप्रूव्ड लोन पास करवा लिया। इसके बाद ठगों ने मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे आरोप में फंसाने की धमकी देकर और अधिक पैसे ट्रांसफर करने के लिए दबाव डाला।
34 लाख की ठगी के बाद हुआ संदेह
ठगों ने निधि से कुल 34 लाख रुपये ठग लिए। जैसे ही निधि ने पैसे ट्रांसफर किए, ठगों का संपर्क टूट गया। इसके बाद निधि को ठगी का आभास हुआ। उन्होंने तुरंत साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस की कार्रवाई: 10 लाख की वापसी
शिकायत मिलने के बाद नोएडा पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत जांच शुरू की। ठगों के बैंक खातों की ट्रेसिंग की गई और संबंधित खातों को फ्रीज कराया गया। पुलिस ने अपनी तत्परता से 10 लाख रुपये की राशि को वापस करा लिया।
साइबर अपराधों में लगातार बढ़ोतरी
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि साइबर अपराधी नई-नई तकनीकों का सहारा लेकर लोगों को फंसाने में लगे हुए हैं। नोएडा और एनसीआर जैसे क्षेत्रों में ऐसे मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। आम लोगों को इन अपराधों से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध कॉल या लेनदेन से पहले पूरी जानकारी जांचने की आवश्यकता है।
कैसे बचें साइबर ठगी से?
- अनजान कॉल्स से सतर्क रहें: अगर कोई व्यक्ति खुद को अधिकारी, बैंक कर्मचारी, या किसी संस्था का प्रतिनिधि बताता है, तो उसकी पहचान की पुष्टि करें।
- स्क्रीन शेयरिंग से बचें: स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स का उपयोग केवल विश्वसनीय स्रोतों के साथ करें।
- अपनी जानकारी गोपनीय रखें: बैंक डिटेल, पासवर्ड और ओटीपी किसी के साथ साझा न करें।
- संदिग्ध लेनदेन पर तुरंत कार्रवाई करें: अगर कोई लेनदेन संदिग्ध लगे, तो तुरंत अपने बैंक और साइबर क्राइम हेल्पलाइन को सूचित करें।
- पुलिस से संपर्क करें: ठगी का शिकार होने पर देरी किए बिना स्थानीय पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराएं।
साइबर क्राइम के बढ़ते मामले: चिंता का विषय
नोएडा और एनसीआर जैसे क्षेत्रों में साइबर अपराधी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर लोगों को ठग रहे हैं। फर्जी कॉल्स, स्क्रीन शेयरिंग, और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में आम नागरिकों को फंसाना इन अपराधियों की नई रणनीति बन गई है।
इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहने और जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। सरकार और पुलिस प्रशासन को भी इन अपराधों के प्रति सख्त कदम उठाने होंगे ताकि आम लोग सुरक्षित महसूस कर सकें।
निष्कर्ष:
नोएडा की यह घटना साइबर अपराधों के बढ़ते खतरे को उजागर करती है। हालांकि, पुलिस की तत्परता से 10 लाख रुपये की राशि वा