धीरेंद्र शास्त्री के बागेश्वर धाम पहुंचे UP पुलिस: कानपुर के लव अफेयर और हत्याकांड की चौंकाने वाली कहानी


कानपुर के खेरसा गांव में रहने वाले दिनेश अवस्थी अपनी पत्नी पूनम और छोटे भाई मनोज के साथ एक साधारण जीवन व्यतीत कर रहे थे। दिनेश और पूनम ने एक साल पहले प्रेम विवाह किया था और शादी के बाद दोनों एक खुशहाल जीवन की उम्मीद कर रहे थे। दिनेश अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए काम पर जाते थे, जबकि घर पर पूनम और उसका देवर मनोज अकेले रहते थे। इसी दौरान, देवर-भाभी के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं और दोनों में अवैध संबंध बन गए।


संबंधों के खुलासे से आई परेशानी


समय बीतने के साथ, दिनेश को इस अवैध संबंध की भनक लगने लगी, जिससे घर में आए दिन झगड़े और कलह होने लगे। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि मनोज और पूनम ने सोचा कि दिनेश उनके रिश्ते में बाधा बन रहे हैं और इस समस्या का समाधान सिर्फ दिनेश को खत्म करने में ही है।


दिनेश की निर्मम हत्या


इस वर्ष 24 अप्रैल का दिन उन तीनों के लिए निर्णायक साबित हुआ। मनोज और पूनम ने मिलकर दिनेश को मारने का पूरा षड्यंत्र रचा। सबसे पहले उन्होंने दिनेश को लाठी और डंडों से बुरी तरह पीटा, फिर चाकू से वार करके उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद, उन्होंने दिनेश के हाथ और पैर बांध दिए और शव को गांव के पास ही स्थित तालाब में फेंक दिया। इस जघन्य अपराध के बाद वे दोनों मौके से फरार हो गए।


बागेश्वर धाम में छुपने की योजना


हत्या के बाद, मनोज और पूनम ने पुलिस से बचने के लिए एक सोची-समझी योजना बनाई। उन्होंने अपने फोन बंद कर दिए और कानपुर छोड़कर कई स्थानों पर भटकते रहे। वे पहले लखीमपुर और सीतापुर होते हुए मध्य प्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम पहुंचे। बागेश्वर धाम में संत धीरेंद्र शास्त्री का आश्रम है, जो देशभर में अपनी धर्मिक शिक्षाओं के लिए विख्यात है। वहां वे खुद को साधारण सेवक की तरह ढालकर आश्रम में सेवा करने लगे। उन्हें विश्वास था कि बागेश्वर धाम जैसी पवित्र जगह पर छुपने से कोई उनके बारे में सोच भी नहीं सकता।


पुलिस की कड़ी निगरानी और गिरफ्तारी


हालांकि, कानपुर पुलिस ने भी हत्याकांड के बाद से इस मामले पर अपनी नजर बनाए रखी। वे मनोज और पूनम के फोन नंबर सर्विलांस पर रख चुके थे। शुरुआत में, दोनों ने अपनी लोकेशन छुपाने के लिए फोन बंद रखा था, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, उन्हें लगा कि मामला अब ठंडा पड़ चुका है और पुलिस शायद अब उनका पीछा नहीं कर रही होगी। इस भ्रम में उन्होंने अपने फोन को चालू कर दिया। जैसे ही उनके फोन चालू हुए, पुलिस को उनकी सटीक लोकेशन पता चल गई।

कानपुर पुलिस तुरंत सक्रिय हो गई और छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम में पहुंच गई, जहां से दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस की इस कार्रवाई ने इस घटना को उजागर किया, और बागेश्वर धाम जैसे धार्मिक स्थल पर छिपने का उनका सोचा-समझा तरीका भी नाकाम हो गया।


पुलिस की रणनीति और कानूनी कार्रवाई


पुलिस ने इस मामले में पूरी सावधानी बरती थी। उन्होंने मनोज और पूनम के फोन की निगरानी कर उनके छिपने के ठिकाने का पता लगाया और समय पर कार्रवाई कर उन्हें पकड़ लिया। दोनों को गिरफ्तार कर कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, और अब उन्हें इस घृणित अपराध के लिए न्याय का सामना करना पड़ेगा।

इस मामले ने समाज के सामने कई सवाल खड़े किए हैं - एक तो यह कि विश्वास और रिश्तों में आई दरारें एक छोटे से परिवार को कितनी बड़ी त्रासदी में बदल सकती हैं। वहीं दूसरी ओर, अपराधियों का धार्मिक स्थल में छुपना यह दर्शाता है कि कानून के डर से बचने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं।