लखनऊ में एक लड़की ने आत्म हत्या की कोशिश की, मेटा का एआई इतना होशियार है कि उसने तुरंत नजदीकी पुलिस वालों को अलर्ट भेजा
लखनऊ में एक लड़की ने आत्महत्या की कोशिश की, लेकिन मेटा (Facebook) के एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) ने समय रहते खतरे को पहचान लिया। एआई ने तुरंत नजदीकी पुलिस को अलर्ट भेजा, जिससे पुलिस मौके पर पहुंचकर लड़की की जान बचा सकी। मेटा के एआई की इस तेजी ने एक बड़ा हादसा टाल दिया।
लखनऊ में हाल ही में एक गंभीर घटना सामने आई, जिसमें एक लड़की ने आत्महत्या की कोशिश की। यह घटना एक दुखद और चिंताजनक स्थिति थी, लेकिन इस मामले में मेटा (जिसे पहले फेसबुक के नाम से जाना जाता था) का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए सामने आया। मेटा के एआई सिस्टम ने समय पर खतरे को पहचान लिया और तत्काल नजदीकी पुलिस को सूचित कर दिया, जिससे लड़की की जान बचाई जा सकी। तुरंत सेकंड्स में मेटा ने लखनऊ पुलिस हेड क्वार्टर में सूचना दी. मिनटों में स्थानीय थाने तक सूचना पहुँच गई और चार मिनट के अंदर पुलिस लड़की के घर पहुँच गई और उसे फाँसी पर चढ़ने से रोक लिया.
इस घटना ने यह साबित किया कि आधुनिक तकनीक किस तरह से मानव जीवन की सुरक्षा में अहम योगदान दे सकती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों की गतिविधियों की निगरानी के लिए मेटा के एआई का इस्तेमाल होता है। यह एआई सिस्टम विशेष रूप से उन पोस्ट्स या गतिविधियों पर नजर रखता है, जो आत्मघाती विचारों या हानिकारक भावनाओं को प्रकट कर सकती हैं। जब कोई व्यक्ति ऐसा कंटेंट पोस्ट करता है जो चिंता या आत्महत्या के विचार को संकेतित करता है, तो मेटा का एआई तुरंत सक्रिय हो जाता है।
इस मामले में, लखनऊ की लड़की ने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा पोस्ट किया, जिससे यह आभास हुआ कि वह आत्महत्या करने वाली है। मेटा के एआई ने तुरंत इस पोस्ट का विश्लेषण किया और इसे आत्मघाती व्यवहार के संकेत के रूप में पहचाना। इसके बाद, एआई ने तत्काल नजदीकी पुलिस अधिकारियों को अलर्ट भेजा, जिसमें लड़की की लोकेशन और स्थिति की जानकारी दी गई। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उस स्थान पर पहुंचकर लड़की को बचा लिया।
यह घटना इस बात का प्रमाण है कि किस तरह एआई और डिजिटल तकनीक, जो आमतौर पर सोशल मीडिया और डेटा मॉनिटरिंग के लिए उपयोग की जाती हैं, को सही दिशा में इस्तेमाल करके लोगों की जान बचाई जा सकती है। यह मेटा का एक सकारात्मक पहल है, जिसमें वे अपने उपयोगकर्ताओं की मानसिक स्थिति पर नजर रखने के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं, ताकि समय पर हस्तक्षेप करके संभावित आत्महत्याओं को रोका जा सके।
हालांकि, यह भी जरूरी है कि ऐसी घटनाओं से समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए। आत्महत्या की प्रवृत्तियां केवल एक क्षणिक भावना का परिणाम नहीं होतीं, बल्कि इसके पीछे दीर्घकालिक मानसिक संघर्ष होते हैं। ऐसे में तकनीक के साथ-साथ हमें मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों को समझने और उन पर काम करने की आवश्यकता है। परिवार, दोस्त और समाज को भी आत्महत्या जैसे गंभीर विषयों पर खुलकर चर्चा करनी चाहिए ताकि किसी भी व्यक्ति को अकेला या हताश महसूस न हो।
मेटा के एआई सिस्टम ने इस घटना में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इस तरह की तकनीक का प्रभावी उपयोग तभी संभव है, जब इसे जिम्मेदारी के साथ लागू किया जाए। इस तरह की पहल भविष्य में कई लोगों की जान बचा सकती है और समाज को आत्महत्या जैसी त्रासदियों से बचाने में सहायक हो सकती है।