उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में एक भीषण सड़क हादसा 36 लोगों की मौत...19 घायल, चारों ओर बिखरी लाशें देख कांप उठी रूह
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में एक भीषण सड़क दुर्घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। सल्ट विकासखंड के मरचूला क्षेत्र में यात्रियों से भरी एक बस अनियंत्रित होकर लगभग 150 फुट गहरी खाई में गिर गई, जिसमें 36 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और 19 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा सोमवार की सुबह घटित हुआ, और इसके बाद से ही पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर दौड़ गई है।
इस दुखद घटना की खबर सुनते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तुरंत मामले की जानकारी ली और मंडल आयुक्त दीपक रावत को घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवारों को चार लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है और घायलों के इलाज के लिए हरसंभव कदम उठाने का निर्देश दिया है। राज्य प्रशासन ने घायलों को जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता दिलाने के लिए हेली सेवा भी तैयार रखी है, और अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रखा गया है ताकि घायलों को उचित इलाज मिल सके।
यह हादसा तब हुआ जब गढ़वाल और कुमाऊं के क्षेत्रों में चलने वाली जीएमओयू (गढ़वाल मोटर ओनर्स यूनियन) की बस संख्या यूके 12 पीए 0061 सोमवार की सुबह करीब सात बजे बारात गांव से होकर रामनगर की ओर जा रही थी। मरचूला के कूपी बैंड के पास जैसे ही चालक ने बस को मोड़ने का प्रयास किया, बस अनियंत्रित हो गई और सीधे सड़क से नीचे खाई में जा गिरी। बस में लगभग 43 सीटें थीं, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, बस में करीब 55 यात्री सवार थे, जो अपने अपने गंतव्य की ओर जा रहे थे।
बस के खाई में गिरते ही चारों ओर चीख-पुकार मच गई। सबसे पहले कूपी गांव के कुछ युवाओं ने घटना स्थल पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू किया और घायलों को बाहर निकालने का प्रयास किया। स्थानीय निवासियों ने तुरंत प्रशासन को सूचना दी, जिसके बाद घायलों को निजी वाहनों के जरिए देवायल और रामनगर के अस्पतालों में भेजा गया। हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी, एसडीआरएफ, पुलिस और पीएसी की टीम भी मौके पर पहुंच गईं और राहत एवं बचाव कार्य में जुट गईं।
दुर्घटना में मारे गए 36 यात्रियों में बुजुर्ग, महिलाएं, और बच्चे भी शामिल हैं। मृतकों के नामों में दिनेश, चारू, मनोज रावत, दीपु, आदित्य राम, सोनी, दिलबर, प्रवीन नेगी, मानवी ध्यानी, परवीन दत्त, नीरज ध्यानी, धनपाल, आदित्य रावत, शंका देवी, दर्शन लाल, रवि भारद्वाज, मिनाक्षी, सलोनी, रविन्द्र, रश्मी रावत, दयावंती पाथनी, शुभम, बनवारी लाल और विशाल शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ शवों की पहचान अभी नहीं हो पाई है और प्रशासन उनकी पहचान करने का प्रयास कर रहा है।
इस हादसे में घायल हुए 19 लोगों में से कई की स्थिति गंभीर है। तीन गंभीर रूप से घायल यात्रियों को सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सिटी मजिस्ट्रेट एपी बाजपेई भी सुशीला तिवारी अस्पताल में मौजूद थे और उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को निर्देश दिया कि सभी घायलों को प्राथमिकता के आधार पर उपचार मिले। अस्पताल के प्राचार्य ने घायलों की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें तत्काल इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू कराया। प्रशासन और अस्पताल की टीम यह सुनिश्चित कर रही है कि सभी घायलों को जल्द से जल्द उचित चिकित्सा सहायता मिले, और आवश्यकता पड़ने पर और घायलों को भी सुशीला तिवारी अस्पताल में शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही है।
इस दुर्घटना के बाद से उत्तराखंड के लोगों में गहरा दुख और आक्रोश देखा जा रहा है। इस घटना ने राज्य की सड़कों की खस्ताहाल स्थिति और परिवहन सेवाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर पहाड़ी इलाकों में जहां सड़कों की हालत और मोड़ पर आने वाले खतरों को देखते हुए यह जरूरी है कि चालक और वाहन, दोनों की गुणवत्ता पर खास ध्यान दिया जाए।
मुख्यमंत्री धामी ने दुर्घटना की जांच के आदेश देकर यह सुनिश्चित किया है कि इस घटना के पीछे की वजहों का पता लगाया जाएगा, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। कई सामाजिक संगठनों और स्थानीय नेताओं ने भी राज्य सरकार से मांग की है कि उत्तराखंड के सुदूर और पहाड़ी क्षेत्रों में परिवहन सेवाओं की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए और सड़कों की गुणवत्ता को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
कूपी गांव के लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर जिस तरह घायलों को बचाने में मदद की, वह काबिल-ए-तारीफ है। यह उनके मानवता और सहयोग का एक बेहतरीन उदाहरण है। राज्य के अन्य क्षेत्रों से भी लोगों ने हादसे में मारे गए और घायल लोगों के परिवारों के प्रति सहानुभूति जताई है।
यह सड़क हादसा उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बसे लोगों के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। यातायात सुरक्षा को लेकर राज्य में एक मजबूत नीति और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के बाद एक ऐसी कार्ययोजना बनाए जिससे इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इसके अलावा, पहाड़ी इलाकों में चलने वाले वाहनों की नियमित जांच होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे किसी भी प्रकार के दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करने के मानकों पर खरे उतरते हैं।
इस घटना के बाद से पूरे राज्य में गम का माहौल है। लोगों ने मृतकों के लिए प्रार्थना की और उनके परिवारों को इस दुख की घड़ी में संबल देने की कामना की। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की दुआओं के साथ ही राज्य सरकार से अपील की जा रही है कि ऐसी घटनाओं से सीख लेते हुए भविष्य में इस तरह के हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
उत्तराखंड के लिए यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक सबक है, जो राज्य में परिवहन सुरक्षा की दिशा में सुधार करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।