झांसी मेडिकल कॉलेज की भीषण आग: दस बच्चों की मौत, पीएम राहत कोष से मुआवजे का एलान
झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज में हुई भीषण आग लगने की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस हादसे में 10 नवजात शिशुओं की झुलसने और दम घुटने से मौत हो गई। इस घटना ने न केवल पीड़ित परिवारों को बल्कि समस्त समाज को गहरे दुख में डाल दिया है।
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुई हृदयविदारक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में लगी भीषण आग में 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत हो गई। इस हादसे ने न केवल परिवारों को गहरे शोक में डाला है, बल्कि चिकित्सा व्यवस्था की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का विवरण
शुक्रवार रात करीब 10:45 बजे नवजात देखभाल इकाई से धुआं उठता हुआ देखा गया। कुछ ही देर में आग ने पूरे वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। वार्ड में कुल 55 नवजात शिशु भर्ती थे, जिनमें से 10 मासूमों की मौत हो गई और 45 को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
आग इतनी तेजी से फैली कि शिशुओं को बचाने में समय लग गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जब आग लगी, तब माता-पिता और कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को बचाने की कोशिश कर रहे थे। बताया जा रहा है कि आग की शुरुआत ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर में शॉर्ट सर्किट से हुई।
पीएम और सीएम ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए कहा:
"झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने से हुई यह हृदयविदारक घटना मन को व्यथित कर देने वाली है। जिन्होंने अपने मासूम बच्चों को खो दिया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें इस अपार दुख को सहने की शक्ति मिले।"
पीएमओ की ओर से यह भी घोषणा की गई कि प्रधानमंत्री राहत कोष से पीड़ित परिवारों को सहायता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख और घायलों के परिजनों को ₹50,000 की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
हादसे के बाद राहत और बचाव कार्य
आग लगने की सूचना मिलते ही दमकल विभाग की करीब 15 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। सेना को भी बुलाया गया, और उनकी मदद से आग पर काबू पाया गया। घायलों को बेहतर चिकित्सा सुविधा दी जा रही है।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। उन्होंने कहा:
"यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। हम पूरी संवेदनशीलता के साथ पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं। हादसे की जांच के आदेश दिए गए हैं, और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
जांच के आदेश और समितियों का गठन
घटना की जांच के लिए तीन स्तरों की जांच की घोषणा की गई है:
- प्रशासनिक जांच: स्वास्थ्य विभाग द्वारा घटना की आंतरिक समीक्षा।
- पुलिस जांच: घटना की आपराधिक पहलुओं से जांच।
- मजिस्ट्रियल जांच: घटना के व्यापक कारणों की पड़ताल।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने जांच रिपोर्ट 12 घंटे के भीतर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कमिश्नर बिमल कुमार दुबे और डीआईजी हादसे की जांच कर रहे हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के बयान
हादसे के दौरान वार्ड के अंदर भगदड़ मच गई थी। माता-पिता अपने बच्चों को बचाने के लिए चिल्ला रहे थे। कई नवजातों को सुरक्षित निकाल लिया गया, लेकिन धुएं और आग की तीव्रता ने 10 मासूमों की जान ले ली।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सचिन माहौर ने बताया:
"एनआईसीयू वार्ड में आग ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर से लगी। वार्ड में ऑक्सीजन की अधिकता के कारण आग तेजी से फैली। सभी प्रयासों के बावजूद 10 बच्चों की जान नहीं बचाई जा सकी।"
सुरक्षा प्रबंधन पर सवाल
फरवरी में झांसी मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी ऑडिट किया गया था, और जून में मॉक ड्रिल भी हुई थी। इसके बावजूद इतनी बड़ी घटना का होना सुरक्षा उपायों की खामियों को उजागर करता है।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। आग लगने के कारणों और सुरक्षा खामियों की जांच की जा रही है।
सहायता और मुआवजे की घोषणा
- उत्तर प्रदेश सरकार: मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख और घायलों को ₹50,000 सहायता।
- प्रधानमंत्री राहत कोष: घटना से प्रभावित परिवारों को अतिरिक्त सहायता।
मासूमों की मौत पर देशभर में शोक
इस त्रासदी ने पूरे देश को गमगीन कर दिया है। झांसी के मेडिकल कॉलेज में मारे गए बच्चों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। अस्पताल परिसर में हर तरफ मातम छाया हुआ है।
सरकार और प्रशासन ने घटना के दोषियों को सजा दिलाने का भरोसा दिया है। वहीं, इस हादसे ने मेडिकल सुविधाओं और सुरक्षा उपायों पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता को फिर से उजागर कर दिया है।