पैरालंपिक्स 2024: भारत को मिला 8वां मेडल, योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में जीता सिल्वर - दिन 5 की लाइव अपडेट
पेरालंपिक 2024 के पांचवें दिन भारत के लिए एक और गौरवशाली क्षण लेकर आया, जब योगेश कथुनिया ने डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। यह भारत का इस पेरालंपिक में आठवां मेडल है, और इस उपलब्धि ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारतीय खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने में सक्षम हैं।
योगेश कथुनिया की सफलता की कहानी
योगेश कथुनिया का यह सफर आसान नहीं रहा है। वे बचपन से ही सेरेब्रल पाल्सी जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, लेकिन उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। 2017 में उन्होंने अपने खेल करियर की शुरुआत की और कड़ी मेहनत के बाद पेरालंपिक में अपना स्थान सुनिश्चित किया। योगेश ने अपने पहले ही पेरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर सभी का ध्यान खींचा था, और अब 2024 में उन्होंने सिल्वर मेडल जीतकर देश को गर्व से भर दिया।
डिस्कस थ्रो में अद्वितीय प्रदर्शन
पेरालंपिक 2024 के डिस्कस थ्रो इवेंट में योगेश कथुनिया ने अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन किया। उन्होंने शानदार फेंक के साथ सिल्वर मेडल अपने नाम किया, जिससे पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई। योगेश का यह मेडल सिर्फ उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि यह उन सभी दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो अपने सपनों को साकार करने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत का अब तक का प्रदर्शन
पेरालंपिक 2024 में अब तक भारत का प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली रहा है। भारत ने कुल 8 मेडल्स जीते हैं, जिसमें 3 गोल्ड, 2 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। यह प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि भारतीय खिलाड़ी किस प्रकार से कठिन परिस्थितियों में भी अपनी मेहनत और समर्पण के बल पर दुनिया में अपना लोहा मनवा रहे हैं।
देशभर में उत्साह और गर्व
योगेश कथुनिया की इस उपलब्धि पर देशभर में खुशी और गर्व की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और अन्य प्रमुख हस्तियों ने योगेश को बधाई दी और उनके शानदार प्रदर्शन की सराहना की। सोशल मीडिया पर भी योगेश की जीत की जमकर तारीफ हो रही है, और लोग उन्हें प्रेरणा का स्त्रोत मान रहे हैं।
पेरालंपिक और भविष्य की उम्मीदें
पेरालंपिक 2024 में भारतीय खिलाड़ियों का यह प्रदर्शन सिर्फ एक शुरुआत है। इस बार भारत से कई अन्य खिलाड़ी भी मेडल जीतने की दौड़ में हैं और देश को उनसे भी बड़ी उम्मीदें हैं। योगेश कथुनिया की जीत ने सभी भारतीय खिलाड़ियों का मनोबल और भी बढ़ा दिया है, और यह उम्मीद की जा रही है कि इस पेरालंपिक में भारत और भी मेडल्स अपने नाम करेगा।
निष्कर्ष
योगेश कथुनिया की यह उपलब्धि केवल उनकी मेहनत और समर्पण का फल नहीं है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। पेरालंपिक में भारत का यह प्रदर्शन दिखाता है कि मेहनत, समर्पण, और इच्छाशक्ति से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। योगेश की इस जीत ने पूरे देश को गर्व का अवसर दिया है और भारतीय खेल जगत में एक नया अध्याय जोड़ दिया है।