बुलंदशहर में भुना चना खाने से दादा पोते की हुई मौत खूब हुई खून की उल्टियां, परिवार के चार लोग अभी भी हैं अस्पताल में भर्ती
बुलंदशहर के नरसेरा क्षेत्र के बरवाला गांव में भुने चने खाने से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। रविवार शाम हुई इस घटना में दादा-पोते की मौत हो गई, जबकि परिवार के चार अन्य सदस्य गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं।
क्या हुआ था घटना के दौरान?
परिवार ने दौलतपुर बाजार से भुने चने खरीदे थे। इन्हें खाने के बाद कुछ ही समय में परिवार के सदस्यों को खून की उल्टियां होने लगीं। इस जहरीले चने का सबसे बड़ा असर 45 वर्षीय कलुआ और उनके 8 वर्षीय पोते गोलू पर हुआ, जिनकी कुछ ही देर बाद मौत हो गई।
घटना का विवरण
चने खाने के बाद परिवार ने शिमला मिर्च की सब्जी खाई थी। रात करीब 10 बजे परिवार के कई सदस्यों की तबीयत बिगड़ गई। कलुआ, उनकी पत्नी जोगेंद्री देवी (40), बेटी शिवानी (8), और भाई के पोते गोलू को तुरंत निजी अस्पताल ले जाया गया। इलाज के दौरान कलुआ और गोलू ने दम तोड़ दिया।
खाद्य विभाग की जांच
सहायक खाद्य आयुक्त विनीत कुमार ने बताया कि घटना के तुरंत बाद खाद्य विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है। चने के स्रोत और गुणवत्ता की जांच के लिए टीम तैनात की गई है। चने कहां से खरीदे गए और उनमें किस प्रकार का दूषण था, इसकी गहराई से जांच की जा रही है।
परिवार का बयान
परिवार के एक रिश्तेदार लवकुश ने बताया कि चने दौलतपुर बाजार से खरीदे गए थे। इन्हें खाने के बाद ही स्वास्थ्य समस्याएं शुरू हो गईं।
दर्दनाक स्थिति
यह घटना परिवार के लिए बेहद दर्दनाक है। एक ही परिवार के दो सदस्यों की मौत और बाकी का अस्पताल में भर्ती होना पूरे इलाके में चिंता का विषय बन गया है। इस घटना ने बाजार में बिकने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सावधानी की आवश्यकता
यह घटना बताती है कि बाजार से खरीदे गए खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना कितना आवश्यक है। खाद्य विभाग की जांच के बाद ही यह साफ होगा कि चने में जहरीला पदार्थ था या अन्य कोई कारण। परिवार और स्थानीय निवासियों को सलाह दी गई है कि वे सतर्क रहें और खाद्य सामग्री की खरीदारी में सावधानी बरतें।
निष्कर्ष
बुलंदशहर की यह घटना एक बड़ी चेतावनी है कि खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। जहां एक ओर यह घटना परिवार के लिए गहरे दुख का कारण है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन के लिए यह खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की निगरानी को सख्त करने का अवसर भी है।