जानें UP की 9 सीटों पर कैसा रहा सपा बसपा और बीजेपी का प्रदर्शन, इसको कहां से मिली जीत और कहां मिली हार


उत्तर प्रदेश में हाल ही में 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजे लगभग साफ हो चुके हैं। इस बार भाजपा गठबंधन ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) केवल 2 सीटों तक सीमित रही। इन चुनावों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का प्रदर्शन खास चर्चा का विषय रहा क्योंकि बसपा लंबे समय बाद उपचुनाव में दम दिखाने की कोशिश करती नजर आई। हालांकि, चुनावी परिणाम बताते हैं कि बसपा का प्रदर्शन अपेक्षाओं से कमतर रहा। आइए विस्तार से जानते हैं कि हर सीट पर बसपा की स्थिति कैसी रही।


मीरापुर सीट का हाल


मीरापुर विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (रालोद) को जीत मिली। रालोद के मिथिलेश पाल ने जीत दर्ज की, जबकि सपा की सुंबुल राणा दूसरे स्थान पर रहीं। लेकिन बसपा उम्मीदवार शाहनजार का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। बसपा यहां पांचवें स्थान पर रही और उन्हें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) और आजाद समाज पार्टी (चंद्रशेखर आजाद की पार्टी) से भी कम वोट मिले।


कुंदरकी सीट पर बसपा का प्रदर्शन


कुंदरकी सपा का गढ़ मानी जाती है, लेकिन इस बार यहां भाजपा ने अपनी छाप छोड़ी। भाजपा के रामवीर सिंह ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की। सपा दूसरे स्थान पर रही, जबकि बसपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। बसपा उम्मीदवार हजार वोट तक भी नहीं पहुंच सके और उन्हें पांचवें स्थान से संतोष करना पड़ा।


गाजियाबाद सीट पर बसपा तीसरे स्थान पर


गाजियाबाद में भाजपा के संजीव शर्मा ने जीत दर्ज की, जबकि सपा के सिंह राज जाटव दूसरे स्थान पर रहे। यहां बसपा उम्मीदवार परमानंदर गर्ग तीसरे स्थान पर रहे। हालांकि, उन्हें उम्मीद के मुताबिक वोट नहीं मिले।


खैर सीट पर बसपा की स्थिति


खैर सीट पर भाजपा के सुरेंद्र दिलेर ने बड़ी जीत दर्ज की। सपा की चारू दूसरे स्थान पर रहीं। बसपा के पहल सिंह को करीब 13,500 वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रहे। दिलचस्प बात यह रही कि आजाद समाज पार्टी ने भी 8,000 से ज्यादा वोट प्राप्त कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।


करहल सीट पर बसपा तीसरे नंबर पर


करहल विधानसभा सीट पर सपा के तेज प्रताप यादव ने करीब 14,000 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। भाजपा के अनुजेश प्रताप दूसरे स्थान पर रहे। बसपा के अवनीश शाक्य को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। उन्हें 10,000 से भी कम वोट मिले।


सीसामऊ सीट पर बसपा का प्रदर्शन


सीसामऊ में सपा की नसीम सोलंकी ने 8,500 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। भाजपा के सुरेश अवस्थी दूसरे स्थान पर रहे। बसपा के वीरेंद्र कुमार को केवल 1,400 वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर रहे।


फूलपुर सीट का हाल


फूलपुर में भाजपा के दीपक पटेल ने जीत दर्ज की, जबकि सपा के मुजतबा सिद्दीकी दूसरे स्थान पर रहे। बसपा उम्मीदवार जितेंद्र कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहे। यहां आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार को साढ़े चार हजार वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रहे।


कटेहरी सीट पर बसपा का प्रदर्शन


कटेहरी सीट पर भाजपा के धर्मराज निषाद ने बड़ी जीत हासिल की। सपा की शोभावती वर्मा दूसरे स्थान पर रहीं। बसपा उम्मीदवार अमित वर्मा को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। हालांकि, उन्हें 40,000 से अधिक वोट मिले, जो अन्य सीटों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन माना जा सकता है।


मझवां सीट का नतीजा


मझवां में भाजपा की सुचिस्मिता मौर्य ने जीत दर्ज की। सपा की ज्योति बिंद दूसरे स्थान पर रहीं। बसपा उम्मीदवार दीपक को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। उन्हें 34,000 से ज्यादा वोट मिले। आजाद समाज पार्टी यहां भी चौथे स्थान पर रही।


चुनाव परिणाम का समग्र विश्लेषण


इन उपचुनावों में बसपा का प्रदर्शन अपेक्षाओं से काफी कम रहा। कई सीटों पर पार्टी को तीसरे या चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा। मीरापुर और कुंदरकी जैसी सीटों पर तो बसपा उम्मीदवार पांचवें स्थान पर चले गए। यह साफ तौर पर दर्शाता है कि बसपा अपने परंपरागत वोट बैंक को बनाए रखने में नाकाम रही है।

बसपा की कमजोर स्थिति का फायदा अन्य पार्टियों, खासकर आजाद समाज पार्टी और AIMIM को हुआ। ये दोनों पार्टियां कई सीटों पर बसपा को पछाड़कर आगे निकल गईं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि बसपा को अब अपने संगठन और रणनीति पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है।


भविष्य की चुनौतियां


बसपा के लिए यह उपचुनाव एक महत्वपूर्ण सीख साबित हो सकते हैं। पार्टी को अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा। इसके साथ ही, पार्टी को नई रणनीति और युवाओं को जोड़ने पर जोर देना होगा। मायावती के नेतृत्व में बसपा को उन मुद्दों पर फोकस करना होगा, जो उनके कोर वोटर्स को फिर से पार्टी के साथ जोड़ सकें।

इन चुनाव परिणामों ने बसपा के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। अब देखना होगा कि आगामी चुनावों में पार्टी इन चुनौतियों का सामना कैसे करती है और अपनी राजनीतिक ताकत को कैसे पुनः स्थापित करती है।