वाराणसी समाचार: सामूहिक हत्याकांड में नया खुलासा, 4 नहीं बल्कि 5 लोगों के पूरे परिवार की हुई हत्या, 2 भतीजों की तलाश जारी
वाराणसी: भेलूपुर थाना क्षेत्र के भदैनी इलाके में हुए सामूहिक हत्याकांड में एक नया और चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। इस मामले में पहले केवल चार लोगों की हत्या का शक था, लेकिन अब पुलिस को पता चला है कि इस हत्याकांड में पांच लोगों की निर्मम हत्या की गई है। पुलिस के लिए ये मामला तब और पेचीदा हो गया, जब प्राथमिक संदेह राजेंद्र गुप्ता पर था, जो अपने परिवार की हत्या के बाद फरार बताया जा रहा था। लेकिन उसकी लाश मिलने के बाद जांच में कई नए पहलू सामने आए हैं।
वाराणसी. वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र के भदैनी इलाके में पत्नी और उसके तीन बच्चों की गोली मारकर हत्या मामले में नया मोड़ आ गया है. पहले हत्या का शक जिस शख्स राजेंद्र गुप्ता पर था उसका भी शव निर्माणाधीन मकान में मिला. पुलिस पहले राजेंद्र गुप्ता पर है पत्नी और तीन बच्चों की हत्या का शक जता कर उसकी तलाश कर रही थी. लेकिन मोबाइल लोकेशन से जब पुलिस रोहनिया थाना क्षेत्र स्थित उसके निर्माणधीन मकान में पहुंची तो राजेंद्र गुप्ता का शव वहां पड़ा था. जिसके बाद पुलिस के हाथ-पेअर फुल गए. पुलिस को लगा कि हत्या के बाद आत्महत्या का मामला है. लेकिन कहानी में ट्विस्ट अभी बाकी था. यह हत्या और फिर आत्महत्या का नहीं बल्कि पूरे परिवार का खात्मा किया गया था.
जानकारी के मुताबिक पुलिस को राजेंद्र गुप्ता के दो भतीजों की तलाश है. पुलिस की 10 टीमें इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में लगी हैं. बताया जा रहा है कि 1997 में राजेंद्र गुप्ता पर भाई और भाभी की हत्या का आरोप लगा था. इस मामले में वह जेल भी काटकर आया था. कहा जा रहा है कि उसके दो भतीजों ने माता-पिता की हत्या का बदला और प्रॉपर्टी विवाद में इस हत्याकांड को अंजाम दिया है. मृतक राजेंद्र गुप्ता की मां भी पोतों पर ही शका जता रही हैं.
दो से तीन गोलियां मारी गई
भदैनी स्थित पॉवर हाउस के सामने की गली में राजेंद्र गुप्ता अपनी पत्नी नीतू, बेटी गौरांगी और बेटों नवनेंद्र व सुबेंद्र के साथ रहता था. मंगलवार सुबह करीब साढ़े 11 बजे पुलिस को सूचना मिली कि एक ही परिवार के चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. पुलिस मौके पर पहुंची तो मृतका की सास ने बताया कि उसके बेटे राजेंद्र गुप्ता और बहू में विवाद चल रहा था. राजेंद्र गुप्ता फरार था, लिहाजा पुलिस का शक उसी की तरफ गया. लेकिन जब उसके मोबाइल लोकेशन से पुलिस उस तक पहुंची तो उसका शव बरामद हुआ. पांचों को दो से तीन गोलियां मारी गई थीं. जिसके बाद अब पुलिस की जांच दूसरी तरफ मुड़ गई है.
पहला सुराग: मोबाइल लोकेशन से मिला राजेंद्र का शव
पुलिस को शुरू में शक था कि पत्नी और तीन बच्चों की हत्या में राजेंद्र गुप्ता का हाथ हो सकता है, और वह फरार था। लेकिन मोबाइल ट्रैकिंग के जरिए पुलिस ने रोहनिया थाना क्षेत्र के निर्माणाधीन मकान में उसकी लोकेशन पाई। वहां पहुंचने पर पुलिस को राजेंद्र गुप्ता का शव मिला, जिससे पुलिस के संदेह और भी गहरे हो गए। पुलिस ने इस घटना को पहले हत्या और फिर आत्महत्या के मामले के रूप में देखा, लेकिन आगे की जांच में ये एक बड़े पारिवारिक हत्याकांड का खुलासा हुआ।
पुलिस का फोकस: प्रॉपर्टी विवाद और पुराने दुश्मनी के एंगल पर जांच
मृतक राजेंद्र गुप्ता पर 1997 में अपने भाई और भाभी की हत्या का आरोप था, जिसके लिए वह जेल भी जा चुका था। इस पुराने मामले के कारण उसके दो भतीजों पर शक गहराता जा रहा है। प्रॉपर्टी विवाद और पूर्व दुश्मनी के एंगल को ध्यान में रखते हुए पुलिस अब उन पर नज़र रख रही है, क्योंकि पुलिस को संदेह है कि इस हत्याकांड में उन दोनों ने अपने माता-पिता की हत्या का बदला लेने के लिए इस घटना को अंजाम दिया हो सकता है।
परिवार की गवाही: मृतका की सास का बयान
घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस को मृतका की सास ने बताया कि उनके बेटे राजेंद्र गुप्ता और बहू नीतू के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। उनकी सास ने बताया कि राजेंद्र फरार था, जिससे शुरुआत में शक की दिशा उसकी ओर गई। लेकिन जब पुलिस ने उसके शव को बरामद किया, तब कहानी में एक नया मोड़ आया। मृतक राजेंद्र की मां का कहना है कि उनके पोते ही इस अपराध में शामिल हो सकते हैं, जिससे पुलिस का शक और भी गहरा गया है।
हत्या का तरीका: गोलियों से किए गए हमले
घटना स्थल पर पुलिस ने देखा कि सभी मृतकों को दो से तीन गोलियां मारी गई थीं, जो इस हत्याकांड की निर्ममता को दर्शाता है। भदैनी स्थित पॉवर हाउस के सामने की गली में राजेंद्र गुप्ता अपनी पत्नी नीतू, बेटी गौरांगी और बेटे नवनेंद्र व सुबेंद्र के साथ रहते थे। मंगलवार की सुबह करीब 11:30 बजे पुलिस को जानकारी मिली कि इस परिवार के चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई है।
दस टीमों का गठन: मामले की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस की कोशिशें
डीसीपी गौरव बंसवाल ने इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस की दस टीमें गठित की हैं। इन टीमों का मुख्य उद्देश्य है कि इस वारदात के पीछे का असली कारण पता लगाया जाए और जो भी दोषी हो, उसे कानूनी सजा दिलाई जाए। फिलहाल, पुलिस हत्या के विभिन्न पहलुओं की बारीकी से जांच कर रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि कोई भी सुराग छूटने न पाए।
पुलिस की संभावित जांच की दिशा
प्रॉपर्टी विवाद का एंगल: राजेंद्र गुप्ता का इतिहास बताता है कि परिवार में पहले से ही संपत्ति को लेकर विवाद रहा है। इस विवाद के चलते ही हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया हो सकता है। पुलिस को शक है कि राजेंद्र के भतीजों ने इसी विवाद के चलते उसे मार गिराया हो।
पुरानी दुश्मनी: 1997 के केस में भाई-भाभी की हत्या का बदला लेने की योजना के तहत यह हत्या की गई हो सकती है। पुलिस इस एंगल को भी ध्यान में रखते हुए जांच कर रही है।
मकान की लोकेशन और राजेंद्र की मौत: पुलिस को इस बात पर संदेह है कि राजेंद्र को वहां तक कैसे बुलाया गया और उसकी हत्या कैसे की गई। पुलिस को यकीन है कि ये वारदात एक सुनियोजित योजना के तहत की गई है।
तकनीकी सबूत: पुलिस के लिए सबसे अहम है राजेंद्र के मोबाइल फोन का लोकेशन और उसके अंतिम कॉल्स। ये कॉल्स और लोकेशन डाटा पुलिस को असली अपराधियों तक पहुंचाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
पुलिस के सामने चुनौती
इस जघन्य हत्याकांड में पुलिस के सामने बड़ी चुनौती यह है कि घटना के पीछे के सभी कारणों का पता लगाया जाए और आरोपियों को पकड़ा जाए। राजेंद्र का पुराना अपराध रिकॉर्ड, उसके और उसके भतीजों के बीच संपत्ति का विवाद, और उसका असामयिक अंत सभी इस केस को पेचीदा बनाते हैं। पुलिस के पास फिलहाल कोई प्रत्यक्ष गवाह नहीं है, और इसीलिए उन्हें सभी तकनीकी और परिस्थिति जन्य सबूतों का सहारा लेना होगा।