वक्फ बोर्ड ने वाराणसी के 115 साल पुराने उदय प्रताप कॉलेज की जमीन पर ठोका दावा



वाराणसी का 115 साल पुराना उदय प्रताप कॉलेज इन दिनों एक विवाद का केंद्र बना हुआ है। यह कॉलेज वाराणसी के भोजूबीर इलाके में लगभग 100 एकड़ में फैला है। यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस कॉलेज की जमीन को वक्फ प्रॉपर्टी बताते हुए 6 दिसंबर 2018 को नोटिस भेजा था। हाल ही में संसद में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के बीच यह पुराना मामला फिर से चर्चा में आ गया है।



वक्फ बोर्ड का दावा


भोजूबीर तहसील के रहने वाले वसीम अहमद खान ने वक्फ बोर्ड को रजिस्ट्री पत्र भेजकर बताया था कि यूपी कॉलेज की जमीन नवाब टोंक की छोटी मस्जिद की संपत्ति है। उनके अनुसार, नवाब साहब ने इस संपत्ति को छोटी मस्जिद के लिए वक्फ कर दिया था। वक्फ बोर्ड ने दावा किया कि यह जमीन वक्फ की संपत्ति है और इसे बोर्ड के नियंत्रण में लिया जाना चाहिए।

नोटिस में कहा गया, "अगर 15 दिन के अंदर कॉलेज प्रबंधन की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया, तो आपकी आपत्ति पर विचार नहीं किया जाएगा।"



कॉलेज प्रबंधन का जवाब


नोटिस के जवाब में उदय प्रताप कॉलेज के तत्कालीन सचिव यू.एन. सिन्हा ने 21 दिसंबर 2018 को बताया कि कॉलेज की स्थापना 1909 में चैरिटेबल एंडाउमेंट एक्ट के तहत हुई थी।

कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. डीके सिंह ने इस दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि,

"यह जमीन एंडाउमेंट ट्रस्ट की है। इस पर किसी प्रकार का मालिकाना हक नहीं हो सकता। न इसे खरीदा जा सकता है, न बेचा जा सकता है। यह अवांछनीय तत्वों की हरकत है जो इस जमीन को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की बताने की कोशिश कर रहे हैं।"

कॉलेज प्रबंधन ने आगे कहा कि वक्फ बोर्ड की तरफ से नोटिस आने के बाद तत्कालीन सचिव ने स्पष्ट जवाब दिया था। इसके बाद बोर्ड की तरफ से कोई संवाद नहीं हुआ।



मस्जिद निर्माण कार्य और विवाद


कॉलेज परिसर में स्थित छोटी मस्जिद को लेकर भी विवाद हुआ। वक्फ बोर्ड की ओर से मस्जिद में कुछ निर्माण कार्य करवाने का प्रयास किया गया, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने पुलिस की मदद से इस पर रोक लगाई।

प्रो. डीके सिंह ने बताया,

"2022 में हमने पुलिस को सूचित किया कि मस्जिद में कोई भी निर्माण कार्य नहीं होगा। साथ ही, मजार पर अवैध रूप से चोरी की गई बिजली का कनेक्शन भी कटवा दिया गया।"

कॉलेज प्रशासन का दावा है कि यह जमीन पूरी तरह से एंडाउमेंट ट्रस्ट की है, और वक्फ बोर्ड के दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है।



वसीम अहमद खान का निधन


जमीन पर वक्फ का दावा करने वाले वसीम अहमद खान का 2022 में 75 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वसीम ने वक्फ बोर्ड को यह भी सूचित किया था कि उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती, इसलिए वे इस मामले की पैरवी नहीं कर सकते।



ऐतिहासिक पृष्ठभूमि


बताया जाता है कि 1857 के गदर के दौरान टोंक के नवाब को अंग्रेजों ने वाराणसी में नजरबंद कर दिया था। नवाब साहब ने अपने लोगों के लिए बड़ी मस्जिद और छोटी मस्जिद का निर्माण करवाया। वर्तमान में उदय प्रताप कॉलेज के परिसर में स्थित छोटी मस्जिद इसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़ी हुई बताई जाती है।



वक्फ संशोधन बिल और भविष्य की संभावना


संसद में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के बीच यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। उम्मीद है कि यह बिल 2025 के बजट सत्र में पेश होगा। हालांकि, वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज पर वक्फ बोर्ड के दावे ने एक बार फिर वक्फ संपत्तियों के विवाद को उजागर कर दिया है।



निष्कर्ष


वाराणसी का उदय प्रताप कॉलेज एक ऐतिहासिक और शैक्षणिक धरोहर है। कॉलेज प्रशासन का दावा है कि यह जमीन एंडाउमेंट ट्रस्ट की है और वक्फ बोर्ड के दावे का कोई आधार नहीं है। वहीं, वक्फ बोर्ड का कहना है कि यह जमीन वक्फ प्रॉपर्टी है। यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है, और आने वाले समय में इसका कानूनी समाधान संभव है।