Success Story: दो भाइयों ने लगाया गजब का दिमाग धान के पराली से खड़ा कर दिया 3 करोड़ का बिजनेस
ऋषभ और रोहन सूरी ने खेती के दौरान निकलने वाले कचरे से ऐसे बायोडिग्रेडेबल बर्तन बनाने का अनोखा स्टार्टअप शुरू किया है, जो पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं। उनकी कंपनी का नाम 'कुदरत' है। आज उनके प्रोडक्ट्स न केवल भारत में बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों में भी धड़ल्ले से बिक रहे हैं। इस काम ने न सिर्फ उन्हें बड़ी सफलता दिलाई, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कुदरत स्टार्टअप की शुरुआत
ऋषभ और रोहन सूरी, केरल के रहने वाले सगे भाई हैं। दोनों ने मिलकर 2022 में 'कुदरत इकोफ्रेंडली प्रोडक्ट्स' नाम से स्टार्टअप शुरू किया। यह स्टार्टअप खेती से निकलने वाले कचरे, जैसे धान की पराली और चावल की भूसी, का उपयोग कर खाने के बायोडिग्रेडेबल बर्तन बनाने का काम करता है। इन बर्तनों की खासियत यह है कि ये न केवल पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं, बल्कि 30 से 120 दिनों में मिट्टी में स्वतः ही गल जाते हैं।
इस स्टार्टअप का विचार तब आया जब भाई समुद्र तट पर सर्फिंग कर रहे थे और उन्होंने वहां प्लास्टिक का कचरा देखा। इसने उन्हें गहराई से झकझोर दिया और उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों पर काम करने की ठानी।
शुरुआती संघर्ष और सफलता का सफर
ऋषभ सूरी ने पहले सीए की पढ़ाई की, लेकिन बाद में पारिवारिक ऑटोमोबाइल बिजनेस से जुड़ गए। 2020 तक, वे इस बिजनेस को चला रहे थे। फिर, महामारी के दौरान, उन्होंने देखा कि खेती से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ (धान की पराली) बड़े पैमाने पर बेकार हो रहा है। यही उनके नए बिजनेस का आधार बना।
शुरुआत में उन्होंने अपनी जेब से पैसा लगाकर काम शुरू किया। पहले छह महीनों में केवल 1.5 लाख रुपये की कमाई हुई, लेकिन दोनों भाइयों ने हार नहीं मानी। उनकी मेहनत का परिणाम यह हुआ कि 'स्टार्टअप इंडिया', 'केरल स्टार्टअप मिशन', और 'EY GDS' जैसे संगठनों ने उनकी मदद की। उन्हें 64 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिली, जिसने उनके बिजनेस को नई ऊंचाइयां दीं।
अनोखा बिजनेस मॉडल और प्रोडक्ट्स
कुदरत स्टार्टअप में एडवांस तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। खेती से निकलने वाले कचरे को सीधे मिलों से खरीदा जाता है। फिर इसे पीसकर, मिलाकर और कम्प्रेशन मोल्डिंग तकनीक से प्रोसेस किया जाता है।
प्रोडक्ट्स:
- खाने योग्य प्लेट
- गिलास
- चम्मच
- कटोरे
- टेकअवे कंटेनर
- ट्रे
- कप के ढक्कन
- स्ट्रॉ
इन उत्पादों की एक खासियत यह भी है कि ये प्लास्टिक और कागज के बर्तनों से बेहतर हैं। प्लास्टिक से पर्यावरण को नुकसान होता है और कागज के बर्तनों में रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। कुदरत के उत्पाद पूरी तरह प्राकृतिक और सुरक्षित हैं।
प्रदूषण का समाधान और समाज पर प्रभाव
धान की पराली को जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं। कुदरत ने इस समस्या का समाधान ढूंढते हुए इसे उपयोगी उत्पाद में बदल दिया। इससे न केवल वायु प्रदूषण में कमी आई है, बल्कि किसानों को भी अतिरिक्त आय का साधन मिला है।
कुदरत के बायोडिग्रेडेबल बर्तन न केवल भारत के महानगरों में लोकप्रिय हैं, बल्कि अंडमान-निकोबार, मिजोरम और नागालैंड जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में भी पसंद किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों में इनके ग्राहक हैं।
मिल रहा है बड़ा बाजार
पिछले महीने, कुदरत ने लगभग 25,000 प्लेट, स्ट्रॉ, चम्मच और कप बेचे। ये उत्पाद अब अमेजन इंडिया पर भी उपलब्ध हैं, जिससे इनकी पहुंच और बढ़ गई है।
आर्थिक सफलता:
- कुदरत ने अगस्त 2022 में पायलट प्रोडक्शन शुरू किया।
- आज, कंपनी का वार्षिक टर्नओवर करीब 3 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
भविष्य की योजनाएं
ऋषभ और रोहन का उद्देश्य है कि वे और अधिक उत्पाद विकसित करें और अपनी तकनीक को बेहतर बनाएं। साथ ही, वे अधिक से अधिक किसानों को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं, ताकि पर्यावरण संरक्षण के इस प्रयास में हर किसी का योगदान हो।
सीखने वाली बातें
ऋषभ और रोहन की कहानी यह सिखाती है कि सही दृष्टिकोण और मेहनत से किसी भी समस्या को अवसर में बदला जा सकता है। जहां एक तरफ प्लास्टिक प्रदूषण एक बड़ी समस्या है, वहीं इन भाइयों ने इसे समाधान में बदलते हुए न केवल खुद को सफल बनाया, बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी योगदान दिया।
'कुदरत' की यह सफलता साबित करती है कि सही सोच और प्रतिबद्धता के साथ, हर किसी के लिए सफलता के रास्ते खुल सकते हैं।