सफलता की कहानी: 1,000 रुपये से शुरू किया काम, अब 2 लाख रुपये महीना कमाती हैं प्रतिभा झा
बिहार के दरभंगा जिले के छोटे से गांव मिर्जापुर हांसी की रहने वाली प्रतिभा झा ने अपनी मेहनत और जज्बे से मिसाल कायम की है। महज 1,000 रुपये की पूंजी से शुरू की गई उनकी मशरूम खेती का कारोबार आज 2 लाख रुपये प्रति माह का हो चुका है। एक साधारण गृहिणी से मशरूम की खेती में एक सफल उद्यमी बनने का उनका सफर प्रेरणा से भरा है।
संघर्ष भरा बचपन
प्रतिभा झा का जीवन आसान नहीं था। 15 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता को कैंसर के कारण खो दिया। पिता के निधन के बाद उनकी मां की तबीयत बिगड़ने लगी और परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। ऐसे में, 16 साल की छोटी उम्र में उनकी शादी कर दी गई। शादी के बाद वह अपने पति के साथ दरभंगा आ गईं। घर के रीति-रिवाजों और पारंपरिक जीवनशैली के बीच वह अपने सपनों को कहीं भीतर दबाकर जी रही थीं।
एक अखबार की खबर ने बदली जिंदगी
2016 में, उनके पति का तबादला हैदराबाद हुआ और प्रतिभा कुछ समय के लिए उनके साथ वहां रहीं। लेकिन ससुराल वालों की तबीयत बिगड़ने के कारण वह वापस गांव लौट आईं। यहीं, उनकी नजर एक अखबार में छपी खबर पर पड़ी। इस खबर में एक व्यक्ति की मशरूम की खेती से मिली सफलता का जिक्र था।
इस लेख को पढ़ने के बाद प्रतिभा ने इस व्यवसाय को अपनाने का मन बना लिया। उन्होंने अपने बचपन को याद किया जब उनके पिता, जो कृषि विभाग में कार्यरत थे, उन्हें मशरूम फार्मों में लेकर जाते थे। उस समय मशरूम के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन यह बात उनके मन में बस गई थी।
परिवार और समाज का विरोध
जब प्रतिभा ने मशरूम की खेती शुरू करने की इच्छा जताई, तो गांव के लोग और परिवार के सदस्य इस विचार के खिलाफ हो गए। गांव के रीति-रिवाजों में महिलाएं घर के बाहर काम करने के लिए प्रोत्साहित नहीं होती थीं। लेकिन, उनके पति ने उनका साथ दिया और उन्हें इस राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
मशरूम की खेती की शुरुआत
प्रतिभा ने दरभंगा के कृषि विभाग से संपर्क किया। वहां उन्हें भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लेने की सलाह दी गई। उन्होंने वहां जाकर मशरूम की खेती की बुनियादी बातें सीखीं। प्रशिक्षण के बाद, विश्वविद्यालय से उन्हें एक किलो दूधिया मशरूम के बीज (स्पॉन) मिले।
उन्होंने 600 रुपये में चार किलो और बीज खरीदे। इसके बाद, अपने पुराने घर के एक खाली कमरे में उन्होंने 50 बैग तैयार किए। धान के पुआल और पॉली बैग खरीदने में लगभग 400 रुपये का खर्च आया। इस तरह उन्होंने कुल 1,000 रुपये का निवेश करके अपना पहला बैच तैयार किया।
मेहनत का फल
प्रतिभा की मेहनत रंग लाई। उनके पहले बैच की फसल सफल रही, और धीरे-धीरे उनका आत्मविश्वास बढ़ा। आज वह तीन प्रकार के मशरूम - दूधिया सफेद, सीप और बटन मशरूम उगाती हैं। इसके अलावा, वह खुद मशरूम के बीज तैयार करती हैं और इसे अन्य किसानों को भी बेचती हैं।
2 लाख रुपये का मासिक कारोबार
प्रतिभा ने अपनी लगन और मेहनत से अपने छोटे से व्यवसाय को एक बड़े स्तर पर पहुंचा दिया है। आज उनका कारोबार 2 लाख रुपये प्रति माह का है। वह सिर्फ मशरूम उगाने तक ही सीमित नहीं हैं। उन्होंने मूल्य वर्धित उत्पाद भी बनाए हैं। उनके मशरूम उत्पादों की मांग न केवल स्थानीय बाजार में बल्कि आसपास के शहरों में भी है।
दूसरों को सिखा रहीं आत्मनिर्भरता का पाठ
प्रतिभा ने अपनी सफलता के साथ-साथ समाज में बदलाव लाने का भी काम किया है। वह गांव की अन्य महिलाओं को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण देती हैं। अब तक उन्होंने सैकड़ों महिलाओं को प्रशिक्षित किया है, जो आज आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में योगदान दे रही हैं।
चुनौतियों का सामना
प्रतिभा का यह सफर आसान नहीं था। उन्हें कई सामाजिक और पारिवारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। गांव में महिलाओं को घर के बाहर काम करने के लिए आलोचना सहनी पड़ती है। लेकिन प्रतिभा ने सभी बाधाओं को पार किया और अपने सपनों को साकार किया।
मशरूम खेती के फायदे
मशरूम की खेती को उन्होंने इसलिए चुना क्योंकि:
- इसमें कम लागत लगती है।
- ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती।
- इसकी खेती के लिए कम समय में परिणाम मिलते हैं।
- बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।
निष्कर्ष
प्रतिभा झा की कहानी यह बताती है कि सफलता पाने के लिए न सिर्फ मेहनत और लगन जरूरी है, बल्कि अपने सपनों को पूरा करने का जुनून भी होना चाहिए। महज 1,000 रुपये की शुरुआत से 2 लाख रुपये महीने की कमाई तक का सफर हर उस व्यक्ति को प्रेरित करता है, जो अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है।
आज, प्रतिभा झा न केवल अपनी जिंदगी में बदलाव लाई हैं, बल्कि वह दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन चुकी हैं। उनकी यह सफलता उन तमाम लोगों के लिए एक उदाहरण है, जो छोटे-छोटे कदमों से बड़ी मंजिल हासिल करना चाहते हैं।