क्या वाकई पीरियड्स के दौरान महिलाएं हो जाती है अशुद्ध जानें इस पर क्या कहता है साइंस


पीरियड्स किसी भी महिला के जीवन का एक सामान्य और स्वाभाविक हिस्सा होते हैं, लेकिन आज भी भारत में कई स्थानों पर महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अशुद्ध माना जाता है। सामाजिक और सांस्कृतिक कारणों से जुड़े अंधविश्वास के चलते महिलाएं मंदिर नहीं जा सकतीं, पूजा-पाठ नहीं कर सकतीं, और यहां तक कि किचन में प्रवेश पर भी रोक होती है। पीरियड्स, हर महिला के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। यह एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है, जो हर महीने महिलाओं के शरीर में होती है। लेकिन सदियों से इस प्राकृतिक प्रक्रिया को लेकर समाज में कई तरह के मिथक और अंधविश्वास फैले हुए हैं। इन मिथकों में सबसे प्रमुख है कि पीरियड्स के दौरान महिलाएं अशुद्ध होती हैं।

यह धारणा पूरी तरह से गलत है। पीरियड्स के दौरान निकलने वाला खून अशुद्ध नहीं होता, बल्कि यह महिलाओं के शरीर का एक प्राकृतिक और स्वास्थ्य के लिए जरूरी प्रक्रिया है।


पीरियड्स से जुड़ी गलतफहमियां और अंधविश्वास


भारत के कई हिस्सों में अभी भी पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अशुद्ध माना जाता है। कई घरों में महिलाएं पीरियड्स के समय धार्मिक अनुष्ठानों से दूर रहती हैं। यहां तक कि खाना बनाने, पूजा-पाठ करने, और धार्मिक स्थल जाने पर भी रोक होती है। कई बार यह भी माना जाता है कि अगर पीरियड्स में महिलाएं पूजा की सामग्री को छू लें, तो वह सामग्री अशुद्ध हो जाती है।


धार्मिक और सामाजिक कारणों से जुड़े अंधविश्वास:

भारत में शारीरिक मल और मूत्र को दूषित मानने की धारणा रही है। इसी तरह, पीरियड्स के दौरान योनि से निकलने वाले खून को भी अपवित्र और अशुद्ध माना गया है। इस कारण महिलाओं को पीरियड्स के समय अपने घर में भी कई कामों से दूर रखा जाता है। यह अंधविश्वास सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से इतने गहरे पैठ गए हैं कि महिलाएं खुद भी इसे सही मानने लगती हैं।


विज्ञान क्या कहता है?


पीरियड्स एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो महिलाओं के शरीर में मासिक रूप से होती है। इसका सीधा संबंध महिलाओं की प्रजनन क्षमता से होता है। जब महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं होती हैं, तब गर्भाशय की दीवार (एंडोमेट्रियम लाइनिंग) टूटने लगती है और यह रक्तस्राव के रूप में बाहर आती है।


डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन, नई दिल्ली स्थित गायनिक: एवरी वुमन मैटर की सीनियर कंसल्टेंट, इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाती हैं। उनका कहना है कि महिलाओं में पीरियड्स होना उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। हर महीने गर्भाशय प्रेग्नेंसी के लिए अंडा तैयार करता है, और यदि यह अंडा फर्टिलाइज नहीं होता है, तो यह अंडा रक्तस्राव के रूप में बाहर आता है। यह प्रक्रिया महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह गर्भाशय को साफ रखने में मदद करती है।

यदि यह रक्तस्राव बाहर नहीं आता, तो महिलाओं के शरीर में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, पीरियड्स के दौरान होने वाला रक्तस्राव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, न कि अशुद्ध या अपवित्र।


महिलाओं का स्वास्थ्य और पीरियड्स


पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन बदलावों के कारण महिलाओं को मूड स्विंग, पेट दर्द, कमर दर्द, सिरदर्द, और कमजोरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि, यह सामान्य प्रक्रिया है और इसे अंधविश्वास के कारण शारीरिक अशुद्धता से जोड़ना सही नहीं है।

पीरियड्स से जुड़ी शारीरिक और मानसिक समस्याएं महिलाओं के जीवन का एक सामान्य हिस्सा होती हैं, जिन्हें सामाजिक समर्थन और जागरूकता के माध्यम से बेहतर तरीके से समझा जा सकता है।


समाज में बदलाव की जरूरत


पीरियड्स से जुड़े अंधविश्वास और गलतफहमियों को दूर करने के लिए समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। विज्ञान के अनुसार, पीरियड्स के दौरान महिलाओं का रक्तस्राव पूरी तरह से स्वास्थ्यवर्धक प्रक्रिया है। इसे अपवित्र मानना एक गलत धारणा है।

महिलाओं को अपने पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ से दूर रखना, किचन में प्रवेश पर रोक लगाना या उन्हें अपवित्र समझना पूरी तरह से गलत और अनुचित है। समय की मांग है कि इस प्रकार के अंधविश्वास को समाप्त कर, महिलाओं को उनके स्वास्थ्य और सम्मान के प्रति जागरूक किया जाए।


निष्कर्ष

पीरियड्स महिलाओं के शरीर की एक प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक प्रक्रिया है, जिसे अंधविश्वास के कारण अशुद्ध मानना गलत है। समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि इस प्रकार की पुरानी और अवैज्ञानिक धारणाओं से छुटकारा पाया जा सके।